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IMG 20210920 010730 श्रीलंका के बाद नेपाल की भी अर्थव्यवस्था डगमगाई Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय
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Thar पोस्ट, न्यूज। कहते है कि उधारी का घी अधिक दिनों तक नहीं पिया जा सकता। एशिया के अधिकांश देशों में यही होने वाला है। श्रीलंका की तस्वीर सामने है इसके बाद नेपाल की भी अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। एशिया के प्रमुख देश कर्ज में डूबे हुए है। नेपाल का केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) अर्थव्यवस्था को बचाने में जुट गया है। एनआरबी ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर नियंत्रण लगाने को कहा है। वहीं बैंको को वाहनों समेत गैर जरूरी चीजों के लिए कर्ज न देने का निर्देश दिया है। एनआरबी ने 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ हुई बैठक में बैंकों को कर्ज न देने का निर्देश दिया है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय बैंक का ये फैसला डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने की खातिर है। इसी तरह नेपाल आयातित पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत को हर महीने 24 से 29 अरब रुपये का भुगतान करता है। दूसरी ओर नेपाली केंद्रीय बैंक का सुझाव है कि वित्त मंत्रालय इस रकम में कटौती कर 12 से 13 अरब रूपये करे। वहीं केंद्रीय बैंक के सुझाव पर नेपाल के तेल निगम के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नागेंद्र शाह ने कहा है कि अगर सुझाव मान लिया जाता है तो पूरे नेपाल में पेट्रोल-डीजल का गंभीर संकट हो सकता है। निगम ने जुलाई 2021 तक हर महीने 14 अरब डॉलर का खर्च ईंधन पर किया। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खर्च दोगुना हो गया है।केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी के मध्य तक नेपाल के पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 के जुलाई मध्य में नेपाल के पास 11.75 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो फरवरी में घटकर 9.75 अरब डॉलर रह गया है। बैंक ने कहा है कि उसके पास इतना ही विदेशी भंडार बचा है जिससे 6.7 माह तक ही जरूरी वस्तुओं का आयात संभव है, जबिक बैक का लक्ष्य सात माह होता है। एशियाई देशों जनसख्या तेज़ी बढ़ रही है जबकि संसाधन सीमित है।


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