Thar पोस्ट, न्यूज। हिंदी सिनेमा में अनेक फिल्मों व गानों से जुड़े किस्से हैं। इनमे शूटिंग से पहले व बाद में तथा गाने की सिचुएशन से लेकर अनेक किस्से शामिल है। एक ऐसा ही किस्सा है ऐतिहासिक फ़िल्म रजिया-सुल्तान का। किस्सा एक नही बल्कि दो-दो है और दोनों ही मज़ेदार है। पहले किस्से के अनुसार रजिया सुल्तान की शूटिंग बीकानेर में शुरू हुई थी, बड़ा लवाजमा यहां पहुंचा था। यह बात वर्ष 1980-1981 की है। तब धर्मेंद्र-हेमा की जोड़ी देश मे अत्यधिक लोकप्रिय थी। जब सिनेप्रेमियों को इसका पता चला तो वे भी एक झलक पाने के लिए उदयरामसर पहुंच गए। यह जानकारी मुझे बीकानेर के लालगढ़ पैलेस में -टेल मी ओ खुदा के सेट पर फ़िल्म निर्देशक व अभिनेत्री हेमा मालिनी ने एक साक्षात्कार में दी थी। मेरे द्वारा लिया यह एक्सक्लूसिव इंटरव्यू राजस्थान, बंगलौर, कोलकाता में प्रकाशित हुआ था। इस इंटरव्यू के दौरान तब हेमा मालिनी ने स्वयं बताया था कि शूटिंग स्थल पर इतनी भीड़ हो गई थी कि भीड़ को मैनेज करना मुश्किल हो गया। बाद में शूटिंग यूनिट को जैसलमेर शिफ्ट करना पड़ा। इसके अलावा टोंक जिले में भी शूटिंग की गई। इस तरह बीकानेर में इस फ़िल्म की शूटिंग नहीं हो सकी। 1983 में प्रदर्शित हुई इस फ़िल्म में महान संगीतकार खय्याम का संगीत आज भी कानों में रस घोलता है।
दूसरा किस्सा भी कुछ कम रोचक नहीं है। दरअसल इस फ़िल्म को बनाया था व निर्देशित किया था कमाल अमरोही ने। जो कि महान अभिनेत्री मीना कुमारी के पति थे। जिन्होंने हिंदी सिनेमा की कालजयी कृति पाकीज़ा का निर्माण किया। पाकीजा के संगीतकार बीकानेर के गुलाम मोहम्मद साहब थे। कहा जाता है कि अभिनेता धर्मेंद्र के लिए मीना कुमारी शराब के आगोश में चली गई। इसकी पीड़ा कमाल अमरोही के मन मे भीतर तक थी। फ़िल्म के लिए उन्होंने धर्मेंद्र को ही चुना। धर्मेंद्र का मेकअप से मुंह काला करवाया गया। फ़िल्म की स्टोरी दसवीं शताब्दी की एक राजकुमारी रजिया पर है जो अपने गुलाम सेना पति को दिल दे बैठती है। इस तरह धर्मेंद्र का मुंह काला कर कमाल अमरोही ने खुद को कुछ हल्का करने का प्रयास किया।