Thar पोस्ट, न्यूज। बीकानेर के पड़ौसी जिले जोधपुर में बीती रात केवल महिलाएं ही शहर की सड़कों पर दिखी। यहां एक अनूठी परंपरा है। जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने सन 1459 में की थी। यहां यह मान्यता है कि धींगा गवर पूजन तभी से शुरू है। राज परिवार से इस पूजन की परंपरा शुरू हुई थी। 563 सालों से यह पूजा चली आ रही है। जबकि तीजणियों(महिलाओं) के अनुसार मान्यता है कि मां पार्वती के सती होने के बाद जब दूसरा जन्म लिया तो वे धींगा गवर के रूप में आई थी। इसलिए मां गवर की पार्वती के रूप में भी पूजा होती है। भगवान शिव ने ही मां पार्वती को इस पूजन का वरदान दिया था। इसके बाद से धींगा गवर की पूजा होती है।जोधपुर शहर में होने वाला धींगा गवर अपने आप में अनूठा और अलग है। 16 दिन तक चलने वाली इस पूजा में केवल महिलाओं का राज होता है। हर रोज धींगा गवर की पूजा और कथा होती है, लेकिन 16वें दिन आधी रात के बाद होने वाली आरती में आदमियों की एंट्री नहीं रहती है। इस दौरान भीतरी शहर की सड़कें महिलाओं से भर गई। बीती रात महिलाओं ने बेंत मारने की परंपरा का निर्वाह किया। भीतरी शहर में अलग-अलग वेशभूषा में सजे महिलाओं को देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान बल्कि देश और दुनिया से भी सैलानी जोधपुर पहुंचे थे।