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IMG 20231123 090506 41 रोचक किस्सा : अभिनेता धर्मेंद्र जब मुम्बई से अचानक गायब हो गए, यह रही वजह ! Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय
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Thar पोस्ट। अभिनेता धर्मेंद्र से जुड़ा एक रोचक क़िस्सा। हालांकि जब उन्होंने बीकानेर से चुनाव लड़ा था तो मैं बतौर रिपोर्टर उनके साथ रहा। अनेक किस्से उनसे जुड़े हुए है। उनकी बात फिर कभी। यहां मुम्बई का एक किस्सा। धरम जी मान चुके थे कि दोस्त फिल्म सुपर फ्लॉप ही होगी। इसलिए जब ये फिल्म रिलीज़ होनी थी उससे पहले ही धर्मेंद्र मुंबई से गायब हो चुके थे। फिल्म से जुड़े सभी लोग हैरान थे कि अचानक धर्मेंद्र कहां चले गए हैं। पता चला कि वो तो कश्मीर में किसी दूसरी फिल्म की शूटिंग करने गए हैं। खैर, धर्मेंद्र के बिना एक छोटा सा प्रीमियर रखा गया और ये फिल्म रिलीज़ कर दी गई। किसी से धर्मेंद्र को पता चला कि आपकी वो फिल्म तो हिट हो गई। लोग उसे खूब पसंद कर रहे हैं। और कश्मीर में भी उसके सभी शोज़ हाउसफुल जा रहे हैं। धर्मेंद्र को जब ये सब बातें पता चली तो काफी हैरान और साथी ही साथ खुश भी हुए। वो कश्मीर के एक सिनेमा हॉल में ये फिल्म देखने पहुंच गए। और वहां फिल्म को लेकर धर्मेंद्र ने लोगों की जो प्रतिक्रिया देखी उससे वो गदगद हो गए।

IMG 20240512 113403 रोचक किस्सा : अभिनेता धर्मेंद्र जब मुम्बई से अचानक गायब हो गए, यह रही वजह ! Bikaner Local News Portal अंतरराष्ट्रीय

धर्मेंद्र ने अगली सुबह की पहली फ्लाइट पकड़ी और मुंबई आ गए। धर्मेंद्र सीधा पहुंचे इस फिल्म के डायरेक्टर दुलाल गुहा के गर। सुबह के नौ बजे का वक्त था। धर्मेंद्र ने दुलाल गुहा के घर की डोर बैल कई दफा बजाई। बार-बार बज रही डोरबैल की आवाज़ से इरिटेट होकर दुलाल गुहा के बेटे पुतुल गुहा ने चिढ़ते हुए दरवाज़ा खोला। लेकिन सामने धर्मेंद्र को देखकर हैरान रह गए। पुतुल गुहा के मुताबिक धर्मेंद्र को देखकर उन्हें लगा जैसे वो रात भर सोए नहीं थे। धरम जी ने पुतुल से उनके पिता दुलाल गुहा के बारे में पूछा। उसके बाद वो पुतुल की दादी यानि दुलाल गुहा की मां से मिले और उनके बेटे की जमकर तारीफ की। कुछ देर में दुलाल गुहा भी आ गए। उन्हें देखकर धर्मेंद्र उनके सामने दंडवत प्रणाम की मुद्रा में लेट गए। धरम जी की आंखों में आंसू थे।

धर्मेंद्र ने लगभग रोते हुए दुलाल गुहा से कहा,”मेरे परिवार के लोगों को फिल्मों के बारे में ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है। हम जो इस फिल्म के बारे में सोच रहे थे वो एकदम गलत था।” दुलाल गुहा ने धरम जी को उठाया और उन्हें शांत किया। फिर अपने साथ बढ़िया सा नाश्ता कराया। धऱम जी ने दुलाल गुहा के घर से ही इस फिल्म के प्रोड्यूसर प्रेमजी को फोन किया और उनसे भी माफी मांगी। फिर धरम जी ने अपने घर फोन लगाया और अपने भाई अजीत सिंह से फोन पर पंजाबी भाषा में कुछ कहा। कुछ ही देर में अजीत सिंह वहां आ गए। उन्होंने दुलाल गुहा को पचास हज़ार रुपए थमाए। दुलाल गुहा हैरान थे कि उन्हें ये रुपए क्यों दिए जा रहे हं। तब धरम जी ने उन्हें बताया कि ये उनकी अगली फिल्म का साइनिंग अमाउंट है।

दरअसल, उस वक्त अजीत सिंह के मन में एक नई कहानी चल रही थी जिस पर वो फिल्म बनाना चाहते थे। उस फिल्म की कहानी के मुताबिक एक ट्रक ड्राइवर को उसकी मां मरते वक्त बताती है कि वो एक पुलिस अफसर का बेटा है जिसे डाकुओं ने मार दिया था। यही कहानी आगे चलकर प्रतिज्ञा फिल्म बनी थी। अभी आप सोच रहे होंगे कि किस्सा टीवी वाले ने अभी तक जिस फिल्म के बारे में इतनी कहानी लिखी है उसका नाम तो बताया ही नहीं। कोई नहीं, अब बता देता हूं। वो फिल्म थी दोस्त जो साल 1974 में रिलीज़ हुई थी। दोस्त में धरम जी के साथ हेमा मालिनी भी थी। और शत्रुघ्न सिन्हा भी थे। जबकी अमिताभ बच्चन ने भी एक गेस्ट रोल निभाया था। इसी फिल्म में किशोर दा गाया वो बड़ा ही प्यारा सा गीत है जिसके बोल हैं “गाड़ी बुला रही है। सीटी बजा रही है।” इस गाने पर अनेक युवा रील बना चुके है

आखिर क्यों धऱम जी को लग रहा था कि दोस्त हिट नहीं फ्लॉप होगी?

चलिए इस बारे में भी बात करते हैं। और इस बारे में बात शुरू करने के लिए साल 1969 में आई धर्मेंद्र की फिल्म सत्यकाम का ज़िक्र करना होगा। सत्यकाम धरम जी की होम प्रोडक्शन फिल्म थी। वो फिल्म धरम जी के रिश्तेदार शेर जंग सिंह पंछी ने प्रोड्यूस की थी। फिल्म का डायरेक्शन किया था ऋषिकेश मुखर्जी ने। ऋषि दा हमेशा सत्यकाम को अपनी बेस्ट फिल्म बताते थे। लेकिन बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म फ्लॉप हो गई थी। जबकी धर्मेंद्र के अभिनय को काफी ज़्यादा सराहा गया था। सत्यकाम के फ्लॉप होने पर धरम जी बहुत निराश हुए थे। सत्यकाम से कुछ पहले ही दुलाल गुहा की धरती कहे पुकार के फिल्म रिलीज़ हुई थी जो सुपरहिट रही थी।

धर्मेंद्र की बड़ी ख्वाहिश थी कि वो फिर से दुलाल गुहा की किसी फिल्म में काम करें। फिर से इसलिए क्योंकि धर्मेंद्र दुलाल गुहा की चांद और सूरज(1965) में काम कर चुके थे। उस फिल्म में उनकी हीरोइन तनुजा थी। हालांकि वो फिल्म कुछ खास नहीं रही थी। धरती कहे पुकार के फिल्म के बाद दुलाल गुहा की मेरे हमसफर आई जिसमें एक बार फिर से जितेंद्र मुख्य हीरो थे। धरती कहे पुकार के फिल्म के हीरो भी जितेंद्र ही थे। मेरे हमसफर के बाद दुलाल गुहा ने दुश्मन फिल्म पर काम शुरू किया। वो एक ट्रक ड्राइवर की कहानी थी जो गलती से एक एक्सीडेंट कर देता है। ट्रक ड्राइवर को सज़ा दी जाती है कि मरने वाले के परिवार का ध्यान उसे ही रखना है। धर्मेंद्र को यकीन था कि ये रोल उन्हें ही मिलेगा। लेकिन दुलाल गुहा ने उस रोल में राजेश खन्ना को साइन कर लिया।

दुश्मन में राजेश खन्ना को साइन किए जाने से धर्मेंद्र बड़े अपसेट हुए थे। लेकिन दुलाल गुहा और सचिन भौमिक के दिमाग में धर्मेंद्र के लिए एक दूसरी कहानी चल रही थी। एक दिन उन्होंने धर्मेंद्र को कहानी सुनाई। कहानी का मुख्य किरदार हर तरह के बुरे काम, झूठ, चोरी और बेईमानी से सख्त नफरत करता है और उसके खिलाफ खड़ा होता है। ये कहानी सुनते वक्त धर्मेंद्र को लगा जैसे दुलाल गुहा उन्हें सत्यकाम जैसा किरदार ही ऑफर कर रहे हैं। उन्हें ये कहानी ज़रा भी पसंद नहीं आई। क्योंकि सत्यकाम फ्लॉप हो गई थी। वो इस फिल्म को साइन तो नहीं करना चाहते थे। लेकिन दुलाल गुहा के ज़ोर देने पर अनमने ढंग से उन्होंने ये फिल्म साइन कर ली। इसी फिल्म का नाम था दोस्त। वही फिल्म जिस पर ये पूरी पोस्ट केंद्रित है। पसंद आए तो लाइक शेयर करना ना भूलिएगा।

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। और जैसे-जैसे वक्त गुज़रता गया, फिल्म की शूटिंग कंप्लीट होती गई, धर्मेंद्र को पूरा यकीन हो गया कि ये फिल्म तो फ्लॉप होगी। शूटिंग कंप्लीट होने के बाद धर्मेंद्र ने अपने कुछ दोस्तों व परिवार के लोगों के लिए एक ट्रायल शो अरेंज कराया। ट्रायल शो देखकर धर्मेंद्र के साथ आए सभी लोगों ने कहा कि ये फिल्म तो अच्छी नहीं बनी है। ये तो फ्लॉप हो जाएगी। दोस्तो-रिश्तेदारों की उस प्रतिक्रिया ने ही धर्मेंद्र जी को इतना निराश कर दिया था कि वो दोस्त की रिलीज़ से कुछ दिन पहले दुलाल गुहा को बिना बताए चुपचाप कश्मीर में एक फिल्म की शूटिंग करने चले गए थे। लेकिन ना सिर्फ धर्मेंद्र के रिश्तेदार, बल्कि खुद धर्मेंद्र भी गलत साबित हुए। “दोस्त” साल 1974 की तीसरी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। पहले नंबर पर मनोज कुमार की रोटी कपड़ा और मकान थी। व दूसरे नंबर पर थी शशि कपूर की चोर मचाए शोर। (साभार : पुतुल गुहा)


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