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IMG 20221226 WA0058 ऊंट उत्सव भाग -2, आखिर क्यों कतरियासर में ऊँट उत्सव आयोजन बंद हुआ ? Bikaner Local News Portal पर्यटन
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Thar post. ऊंट उत्सव -2 जितेंद्र व्यास। पर्यटन। यहाँ ऊंट का कितना महत्व है इसका जिक्र यहाँ करना चाहूंगा । पश्चिमी राजस्थान खासकर बीकानेर में ऊंट, रसूखदार समृद्ध घरों का प्रतीक रहा। यहाँ तक कि विवाह योग्य एक युवती भी अपनी माँ से यही कहती थी की उसकी शादी उसी घर में हो जहाँ सांड अर्थात ऊंटनी हो।
खैर बीकानेर में ऊंट उत्सव की शुरुआत हो चुकी थी और कतरियासर और बीकानेर के स्टेडियम में इसका आयोजन होने लगा। विदेशी मेहमानों के साथ दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, जयपुर सहित अनेक स्थानों से लोग आने लगे। दुनियावी पर्यटन मानचित्र पर ऊंट उत्सव तेज़ी से उभरा। कतारितासर में ऊंट दौड़, अग्नि नृत्य सहित अनेक रोचक कार्यक्रमों ने लोगों को अपनी ओर खींचा यह सिलसिला एक दशक से अधिक समय तक चला। यह वह दौर था जब फ़िल्मी दुनिया के नामचीन कलाकार प्रस्तुति देने बीकानेर पहुचे। जूनागढ़ परिसर में भी अनेक कार्यक्रम हुए। उत्सव इस समय तक तीन दिन का हुआ करता था। एक दिन बीकानेर और दो दिन कतरियासर। विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में शामिल होते थे। ऊंट उत्सव ने 2005 में लिया घुमाव
समय परिवर्तनशील है। बात 2005 की है। कतरियासर में विदेशी जोड़ों का विवाह था। तब सहायक निदेशक हनुमानमल आर्य ने दो विदेशी युवतियों और युवकों का हिन्दू रीति से विवाह करवाया। मैं भी इसका प्रत्यक्ष गवाह बना। बीकानेर के प्रचलित मारवाड़ी गीत केसरिया लाडो जीवतों आदि गाये गए। फेरे भी हुए। यादगार सांस्कृतिक संध्या ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद तेजी से हालात बदले। गाँव में एक युवक युवती के भाग जाने की घटना के बाद सिद्ध संप्रदाय के लोगों ने यह कहते हुए धरना दे दिया की हमारी संस्कृति पर विपरीत असर पड़ रहा है। जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना चला। कतरियासर से ऊंट उत्सव हटाने के बाद ही धरना हटाया गया। बीकानेर में रेतीले धोरों और ऊंट सफारी के विशेषज्ञ वीरेंद्र सिंह से कई बार मेरी पूर्व में बातचीत हुई। उनके अनुसार उत्सव के लिए यह प्रतिकूल समय था लेकिन हमेशा की तरह हम आगे बढे। …शेष अगले अंक में मैं आपको बताउगा कि कैसे फर्जीवाड़े हुए और मम्मी मिस मरवन बन गई


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