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IMG 20220805 172930 कोविशील्ड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, याचिकाकर्ता ने रखी यह मांगें Bikaner Local News Portal दिल्ली
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Thar पोस्ट, न्यूज नई दिल्ली। कोविशील्ड का मामला गरमाने लगा है। यह अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वैक्सीन को लेकर विशाल तिवारी नाम के एक शख्स  ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। तिवारी पेशे से वकील है. उन्होंने अपनी इस याचिका में एक्स डायरेक्टर की अध्यक्षता में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव और जोखिम की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ पैनल का गठन करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि ये सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए. 

इन मांगों को रखा

इस याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों और इसके जोखिम कारकों की जांच करने और वैक्सीन से हुए नुकसान का निर्धारण करने के लिए केंद्र  को निर्देश जारी करने की भी मांग की गई है. इतना ही नहीं इस याचिका में ये भी साफ तौर पर कहा गया है कि जो लोग इस वैक्सीन को लगाने की वजह से अक्षम हो गए हैं या जिनकी मौत हो गई है उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए. 

कुछ दिन पहले ही कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ (Covishield) बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने स्‍वीकार किया था कि जिन लोगों ने कोरोना के दौरान कोविशील्ड वैक्सीन ली है उनमें रेयर साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं.। ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि उसकी कोविड वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं. वैक्सीन निर्माता ने अदालती दस्तावेज़ों में कहा था कि कोविशील्ड, दुर्लभ मामलों में एक ऐसी स्थिति का कारण बन सकती है, जिससे खून के थक्के जम सकते हैं और प्लेटलेट की संख्या कम हो सकती है.

यह बात की कंपनी ने

इस फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने मरीजों की सेफ्टी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर से दोहराई. बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है.।

एस्ट्राजेनेका ने एक बयान जारी कर कहा, “हमारी सहानुभूति उन लोगों के साथ है, जिन्होंने अपनों को खोया है या स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी दी है. मरीज की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. टीके समेत सभी दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए रेगुलेटर अथॉरिटीज के पास स्पष्ट और कड़े स्टैंडर्ड हैं.”


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