नई दिल्ली। आखिर मोदी सरकार को मुग़ल शहजादे दारा शिकोह की कब्र में क्या दिलचस्पी है ? भारत सरकार ने मुगल शासक औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह की कब्र को तलाशने का आदेश दिया है। दारा शिकोह 17वीं शताब्दी के मुगल शहजादे थे। उनके बारे में इतिहास है कि उन्हें दिल्ली में हूमायूं के मकबरे में कहीं दफन कर दिया गया है। हालांकि ये पूरा सच है या नहीं, इसको लेकर अब भारत सरकार ने एक आदेश पारित किया है जिसमें पुरातत्वविदों की एक कमेटी बनाकर इसकी सच्चाई पता लगाने को कहा गया है। बता दें कि यह कमेटी साहित्य, कला और वास्तुकला के आधार पर दारा शिकोह की कब्र पहचानने की कोशिश कर रही है। इतिहास पर गौर करें तो दारा शिकोह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे थे। इस लिहाज से सिंहासन की गद्दी पर उनका हक पहले था लेकिन उनके छोटे बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को हटा कर आगरा की जेल में डाल दिया और खुद गद्दी पर बैठ गया। इतना ही नहीं औरंगजेब ने दारा शिकोह को भी जेल में डाल दिया।
इतिहासकार मोहम्मद काजिम इब्ने मोहम्मद अमीन मुंशी की एक प्रसिद्ध किताब आलमगीर नामा में दारा शिकोह के बारे में जानकारी दी गई है। इस किताब में लिखा गया है कि, दारा शिकोह को हुमायूं के मकबरे में उस गुंबद के नीचे दफनाया गया था जहां अकबर के बेटे दानियाल और मुराद दफन हैं। बाद में इसी जगह तैमूर वंश के शहजादों और शहजादियों को दफन किया गया था।
वहीं दारा शिकोह की कब्र तलाशने को लेकर जानकारी मिली है कि, दारा शिकोह भारतीय उपनिषद और भारतीय दर्शन का विद्वान होने के साथ उदारवादी भी था। उदारवादी नजरिए के कारण ही मुगल शासकों में सिर्फ दारा शिकोह के चरित्र को भारतीय जनता पार्टी का मातृसंगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पसंद करता है। ऐसे में वर्तमान सरकार में दारा शिकोह की कब्र की चल रही इस खोज के काफी मायने हैं।
इसके अलावा हुमायूं मकबरे में दारा शिकोह की कब्र कहां है, इसका पता लगाने के लिए गुरुवार को एक बैठक हुई। इस बैठक के बाद कमेटी के सदस्य बीआर मणि ने बताया है कि आज की बैठक में तय हुआ है कि जनवरी में कमेटी के सदस्य साइट विजिट करेंगे। दिल्ली नगर निगम के इंजीनियर संजीव कुमार सिंह को भी बुलाया जाएगा। उसके बाद ही दारा शिकोह की कब्र पर कोई निर्णय होगा। कमेटी के दौरे के बाद रिपोर्ट मिनिस्ट्री को जाएगी। कुछ मेंबर इससे पूर्व भी साइट का विजिट कर चुके हैं।
बता दें कि दारा शिकोह की कब्र ढूंढने के लिए इस साल जनवरी में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में आरएस बिष्ट, बीआर मणि, केएन दीक्षित, डॉ. केके मुहम्मद, सैयद जमाल हसन, बीएम पांडेय शामिल हैं। साभार।