Thar पोस्ट। ब्रिटेन के लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे विस्टन चर्चिल का यह बयान इतिहास में दर्ज है। ये तब की बात है जब गांधी 1931 में ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम के बुलावे पर बकिंघम पैलेस गए थे.तब गांधी ने अपनी चिर-परिचित छोटी धोती पहनी हुई थी जिसे अंग्रेज़ लॉइनक्लॉथ यानी लंगोट कहते थे। महात्मी गांधी के पड़पोते और उन पर कई किताबें लिख चुके तुषार गांधी मानते हैं कि अपनी छोटी धोती को गांधी ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ एक स्ट्रेटजी की तरह इस्तेमाल किया था.22 सितंबर 1921 को गांधी ने अपना पुराना पहनावा छोड़कर सिर्फ़ छोटी धोती और एक चादर को अपना लिया। चर्चिल ने उन्हें हाफ नेकेड फकीर बोला था। गुजरात के वरिष्ठ लेखक और गांधी पर अध्ययन करने वाले उर्विश कोठारी कहते हैं कि अपने कपड़े बदलने का निर्णय गांधी ने किसी ‘सेंस ऑफ़ ड्रामा’ से नहीं लिया था. लेखक उर्विश कोठारी के मुताबिक,गांधी हमेशा शांत चित्त से विचार करते थे और पहले ख़ुद अमल करते थे. जब स्वदेशी आंदोलन चल रहा था तब उन्होंने 22 सितंबर 1921 को घोषणा की थी कि वो कम से कम 31 अक्तूबर तक केवल छोटी धोती या लायनक्लॉथ ही पहनेंगे. उन्होंने ऐसा किया भी और 31 अक्तूबर 1921 की वो मियाद बढ़कर बेमियाद हो गई।