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IMG 20200915 WA0110 साहित्यकारों की याद में यहाँ लगाये पौधे Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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Tp न्यूज। आज बीकानेर में मुक्ति संस्था के तत्वावधान में मंगलवार को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार के बीकानेर स्थित राष्ट्रीय अश्व उत्पादन परिसर में नगर के 6 दिवंगत साहित्यकारों की याद में ‘स्मृति वृक्ष’ लगाये गये । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा थे, कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की तथा सान्निध्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ शरत मेहता का था । मुक्ति संस्था के समन्वयक मांगीलाल भद्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के हर्बल पार्क में मंगलवार को नगर के छह दिवंगत साहित्यकारों राजस्थानी भाषा के साहित्यकार मुरलीधर व्यास ’राजस्थानी’, हिन्दी के कथाकार यादवेंद्र शर्मा ‘चन्द्र’, जन कवि हरीश भादानी, कथाकार साँवर दइया, साहित्यकार डॉ किरण नाहटा एवं संगीतज्ञ डॉ मुरारी शर्मा की याद में अतिथियों द्वारा स्मृति वृक्ष लगाये गये ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि बुलाकी शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र में लगाये गये स्मृति वृक्ष शोधार्थियों को प्रेरणा देते रहेंगे, उन्होंने कहा कि वृक्षों से बातचीत करते रहने से आदमी और वृक्ष दोनों को सुकून मिलता है, शर्मा ने कहा कि शहर में यह पहला अवसर है जब दिवंगत रचनाकारों की स्मृति में स्मृति वृक्ष लगाये गये हैं इसके लिए मुक्ति संस्था की यह पहल इतिहास में दर्ज होगी।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि प्रत्येक लेखक की लेखनी में पर्यावरण विषय पर लेखन पढ़ने को अवश्य मिलता रहा है, जोशी ने कहा कि राजस्थानी साहित्यकार मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ को आधुनिक राजस्थानी का जनक माना जाता है । उन्होंने गहन संवेदना से ओतप्रोत कहानियाँ लिखी।
हिन्दी-राजस्थानी के कथा पुरुष यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ ने राजस्थानी जन जीवन को अपनी कथाओं में जीवंतता से चित्रित किया है ।
जन कवि हरीश भादाणी के गीत आज भी जन-जन की जुबान पर हैं, उन्होंने जन के लिए लिखा उनकी जन कवि के रूप में पहचान है ।
कथाकार साँवर दइया ने आधुनिक कहानी को नया मुहावरा दिया। उन्होंने कहानी से आम पाठकों से जोड़ने का प्रयास किया।
साहित्यकार डॉ किरण नाहटा ने राजस्थानी साहित्य का इतिहास लिखते हुए आलोचना के क्षेत्र में अविस्मरणीय काम किया।
संगीतज्ञ डॉ मुरारी संगीत शिक्षक,निर्देशक के साथ कुशल लेखक भी थे, उन्होंने संगीत के विभिन्न पक्षों को उदघाटित करते हुए लेखन किया तथा संगीत को आम जन से जोड़ने का प्रयास किया ।
कार्यक्रम को सान्निध्य देते हुए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के प्रभारी अधिकारी डॉ शरत मेहता ने कहा कि केन्द्र में वृक्ष लगाने की परम्परा स्थापना के समय से रही है परन्तु साहित्यकारों- संगीतज्ञ की ्याद में स्मृति वृक्ष लगने से वातावरण में शब्दों की ताजगी परिसर में सुनाई देती रहेगी, मेहता ने कहा कि मुक्ति संस्था के सहयोग से यह यात्रा आगे भी सतत् रूप से चलती रहेगी, उन्होंने कहा कि यह स्मृति वृक्ष हमें उनकी उपस्थिति का अहसास कराते रहेंगे ।
इस अवसर पर अतिथियों ने गूलर, अमलतास, गुलमोहर, सेमल एवं अंजीर के वृक्ष लगाये । कार्यक्रम में डॉ राम अवतार लेघा, डॉ टी आर तालुरी, डॉ जितेन्द्र सिंह, डॉ आर ए पचोरी, श्री नरेन्द्र चैहान, बाबूलाल, फतहचन्द पडिहार, अंकित बिस्सा, योगेश व्यास सहित अनेक लोगों ने शिरकत की ।


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