Thar पोस्ट* जितेंद्र व्यास। अन्य जिलों की तरह बीकानेर में भी रेलवे क्रासिंग के पास टेंट लगाए गए है। हालांकि अन्य जिलों में कोटगेट व सांखला फाटक जैसी रेलवे क्रासिंग जैसा पर्यटन स्थल नहीं है। पर्यटन स्थल इसलिए मैं कह रहा हूँ क्योंकि टूरिस्ट गाइड बीकानेर आने वाले सैलानियों को कुछ हटकर दिखाने के लिए यहां लाते है। कुछ हटकर देखना है तो क्रासिंग के साथ बीकानेर की प्रमुख सड़कों पर चले आये। यहां आपको विचित्र नज़ारे दिखेंगे। एक बाइक पर तीन सवारी। यह नजारा आम बात है कई बार तो तीन सवारी में बीच मे कोई मोहतरमा भी बैठी होगी। इस सैंडविच सवारी में बगैर हेलमेट व यातायात के नियमों को दरकिनार कर यात्रा होती है नीचे रबर की सलीपर में। बीच राह में कब कोई आकर इनफील्ड पर विस्फोट कर जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। यातायात विभाग ने पिछले दिनीं बीकानेर के सादुल सिंह सर्किल पर चालान काटे भी थे। राजस्थान में बुलेट घमाका करने वाली बाइक पर रोक है। ये बीकानेर की सड़कों के कुछ रंग ढंग है। बीकानेर की बेपटरी यातायात व्यवस्था की मुख्य वजह कोटगेट व सांखला फाटक समस्या है। इससे पूरे शहर व बाज़ार की व्यवस्था बिगड़ती है।
रेलवे क्रासिंग के अलावा स्टेशन रोड, रानीबाजार से सूरज टॉकीज की ओर जाने वाली सड़क, मुख्य डाकघर से रोशनीघर चौराहा, कोटगेट व सार्दुल स्कूल तक आधा दर्जन स्थानों में दिन में कई बार जाम लगते है। आखिर टेंट कहाँ कहाँ लगेंगे? कोटगेट व सांखला फाटक से जुड़ी समस्या को लोग राजनेताओं के पाले में डाल रहे है लेकिन समस्या का सामना केवल जनता को करना पड़ेगा। इसका समाधान जमीनी स्तर पर निकट भविष्य में नहीं है। प्रत्येक दल का अपना विजन व समाधान प्रोजेक्ट है। हाल ही में कांग्रेस ने जिला प्रशासन को पूर्व मंत्री डॉ बी डी कल्ला के नेतृत्व में ज्ञापन देकर मंजूर बजट 35 करोड़ के बारे में ब्यौरा मांगा था। वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल इस महासमस्या को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को बता चुके है। विधायक जेठानंद व्यास कह चुके है कि उनके कार्यकाल में यह समस्या हल हो जाएगी।
इतना ही हुआ विकास
क्रासिंग की बात छोड़िए यदि पूर्व राजपरिवार की ट्रस्ट की महाराजा डूंगर सिंह की बेमिसाल शाही प्रतिमा सूरसागर के गंदे वातावरण की जद में नही आती और विधायक सिद्धि कुमारी पूर्व से चुनाव नही लड़ती तो सूरसागर भी गंदा तालाब ही रहता। राजस्थान के अन्य जिलों का एक चक्कर निकालिए। बीकानेर में कितना विकास हुआ। इसका पता चल जाएगा। जोधपुर, अजमेर, उदयपुर किसी भी जिले से बीकानेर की तुलना कर लीजिए।
बिगडेंगे हालात
बीकानेर में बिगडता यातायात अब कुछ ही वर्षों में खतरनाक स्थिति में पहुंच जाएगा। जगह जगह जाम लगेंगे। पूरा शहर प्रदूषण के आगोश में रहेगा। वाहनो के अंदर मरीज परेशान रहेंगे, दम तोड़ेंगे। बीकानेर की आम जनता इसमें एक महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकती है वह है एक तरफा यातायात के नियमों का पालनकर। जब तक बीकानेर की मुख्य रेलवे क्रासिंग समस्या का समाधान नहीं होता है तब तक पूर्व संभागीय आयुक्त नीरज के पवन द्वारा दी गई एक तरफा यातायात की पालना कर पूरे बीकानेर को राहत प्रदान करें। और यह काम कर सकते है केवल आप और हम। यातायात विभाग तो एक्शन मोड पर है। हजारों का चालान भुगतने के लिए तैयार रहे* जितेंद्र व्यास लखावत