Tp न्यूज़। प्रदेश के तमाम मातृभाषा जनगणना के दौरान राजस्थानी के सपूत मातृभाषा के काॅलम में ‘राजस्थानी भाषा’ अंकित करवाने का अनुरोध संस्था द्वारा किया गया है, ताकि गत जनगणना के बाद प्रदेश व देश में मातृभाषा राजस्थानी के बोलने वालों की संख्या का सही अनुमान लग सके। जिससे राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता एवं प्रदेश की दूसरी राजभाषा के साथ-साथ नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम राजस्थानी भाषा हो सके। जो कि करोड़ों लोगों की जनभावना एवं अस्मिता है।
आगामी जनगणना महाअभियान को ध्यान में रखते हुए गत जनगणनाओं के समय राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा जो राजस्थानी अंकित कराने के प्रति चेतना का अभियान चलाया था। उसी तरह इस बार भी संस्था आगामी जनगणना अभियान में अपनी भूमिका का निवर्हन कर रही है।
संस्था के प्रदेशाध्यक्ष एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने बताया कि पहले भी राजस्थानी भाषा के लोगों द्वारा अपनी मातृभाषा राजस्थानी बताने के उपरान्त भी उसे हिन्दी की उपभाषा में जोड़ दिया गया। जो ठीक नहीं था, क्योंकि राजस्थानी एक स्वतंत्र एवं समृद्ध भाषा तो है ही साथ ही भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से भी वो संपूर्ण मानक पूर्ण करती है।
रंगा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि आगामी जनगणना में राजस्थानी मातृभाषा का काॅलम स्पष्ट रूप से राजस्थानी भाषा बोलने वालों के आकड़ों में शामिल किया जाए न कि किसी अन्य की उपभाषा बताई जाए।
संवाद प्रेषककमल रंगा