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Tp न्यूज़। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की और से वेबलाइन सीरीज में ‘ राजस्थानी साहित्य में पत्रकारिता ‘ विषय पर एक सिम्पोजियम राजेन्द्र बारहठ की अध्यक्षता में आयोजित किया। जिसमें दुलाराम सहारण – चुरू, डॉ घनश्याम नाथ कच्छावा- सुजानगढ़, शंकर सिंह राजपुरोहित- बीकानेर और सुखदेव राव- जोधपुर ने पत्रवाचन किया।
अकादमी में राजस्थानी भाषा के प्रभारी ज्योतिकृष्ण वर्मा ने बताया कि कोरोनोकाल में अकादमी साहित्य की गतिविधियों को ऑनलाइन आयोजित कर रही है। मान्यता प्राप्त सभी 24 भाषाओं में ये आयोजन हो रहे हैं और पूरी दुनिया के लोग इससे जुड़ रहे हैं। विषय प्रवर्तन करते हुए राजस्थानी भाषा संयोजक मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ ने कहा कि राजस्थानी साहित्य पत्रकारिता सबल न होने के कारण आलोचना, कथेतर साहित्य विकसित नहीं हुआ। मान्यता का आंदोलन भी कमजोर पड़ा।
राजस्थानी साहित्य पत्रकारिता के इतिहास को उल्लेखित करते हुए दुलाराम सहारण ने कहा कि राज्य से पोषित न होने के कारण अनेक पत्रिकाओं को असमय बंद होना पड़ा। डॉ घनश्याम नाथ ने अपने पत्र में कहा कि राजस्थानी साहित्य पत्रकारिता में उल्लेखनीय काम हुआ है पर निरंतरता जरूरी है। शंकर सिंह राजपुरोहित ने अपने संबोधन में राजस्थानी साहित्य पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति की विगत बताते हुए कहा कि अब भी विपुल संभावना है। योजना से काम की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को प्राथमिक भाषा से जोड़ना चाहिए। सुखदेव राव ने साहित्य पत्रकारिता के सामने आ रही परेशानियों को रेखांकित किया। अध्यक्षीय संबोधन में राजेंद्र बारहठ ने सभी पत्र वाचन को सार्थक बताया। राजस्थानी पत्रकारिता का उजाला पक्ष ‘ ओरल मीडिया ‘ और ‘ सोशल मीडिया ‘ है। साहित्यकारों ने अकादमी सचिव के श्रीनिवास का आभार जताया। ज्योतिकृष्ण वर्मा ने धन्यवाद दिया।
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