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IMG 20200827 004731 1 रुक्टा (राष्ट्रीय) ने किया वेतन कटौती का विरोध Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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Tp न्यूज। आज राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने राज्य सरकार द्वारा राज्य सेवा के अधिकारियों के 2 दिन का वेतन सितंबर माह से कटौती करने का निर्णय का विरोध करते हुए इसे इसे वापस लेने की मांग की है । इस संबंध में जानकारी देते हुए रुक्टा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते मार्च 2020 माह में लॉक डाउन की गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए तथा श्रमिकों एवं अल्प आय वर्ग की आर्थिक समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए संगठन द्वारा स्वयंप्रेरणा से आगे होकर वेतन कटौती का प्रस्ताव दिया गया था । लॉकडाउन खुलने के बाद आर्थिक गतिविधियां काफी हद तक सामान्य हुई है, राजस्व प्राप्ति में अवश्य कुछ कमी हो सकती है लेकिन अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपातकाल घोषित करने जैसी स्थिति नहीं बनी है। इस संबंध में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटिशन संख्या 128/2020 डी.एल.कामेश्वरी वर्सेस आंध्र प्रदेश राज्य मामले में हाल ही में 11 अगस्त 2020 को निर्णय दिया गया है कि वित्तीय आपातकाल घोषित किए बिना वेतन को स्थगित करना या उसमें से कटौती करना संविधान के अनुच्छेद 21 और 300ए के विरुद्ध है। अतः इस प्रकार का आदेश विधि विरुद्ध होने के कारण वापस लिए जाने योग्य है।

रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रदेश महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत वेतन भुगतान स्थगित करने या कटौती करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा वेतन कटौती करने का यह निर्णय समान कार्य के लिए समान वेतन की अवधारणा के विपरीत है। राज्य सरकार के निर्णय में जुडिशरी, पुलिस एवं चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों को पूर्ण वेतन देने की बात की गई है जबकि राजकीय सेवा नियमों के अनुसार समान काम कर रहे अन्य कर्मचारियों के वेतन काटने की बात की गई है। जहां तक कोरोना काल में ड्यूटी का संबंध है, जिला कलेक्टर द्वारा क्षेत्र में दी गई कोरोना ड्यूटी हो अथवा महाविद्यालय के प्रशासनिक और अकादमिक कामकाज की निरंतरता, कोरोना काल में शिक्षकों द्वारा अपने सभी राजकीय दायित्वों का पूरी जिम्मेदारी से पालन किया है। कोरोना काल में संपन्न विभिन्न प्रवेश परीक्षा और प्रतियोगिता परीक्षा हो या प्रवेश कार्य; कम संसाधनों के और कोरोना संक्रमण के जोखिम के बावजूद शिक्षकों ने राज्य सरकार के निर्देशों का मुस्तैदी से पालन किया है। राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने की भी समाचार है ‌। क्या इस तरह की ड्यूटी के बाद भी विभिन्न विभागों के मध्य ऐसे भेदभाव पूर्ण आदेश जारी किए जाने चाहिए ? क्या सरकार यह मानती है कि शिक्षा में निरंतरता जीवन का कम महत्त्वपूर्ण हिस्सा है ?

रुक्टा(राष्ट्रीय) ने आपत्ति जताई है कि इस संबंध में निर्णय लेते समय शिक्षक संगठनों से कोई वार्ता तक नहीं की गई । राज्य सरकार ने इस हकीकत को ध्यान नहीं रखा है कि शिक्षकों के पास वेतन के अलावा कोई आय नहीं है तथा प्रत्येक वेतनभोगी कर्मचारी अपने वेतन के अनुसार जीवन स्तर और भविष्य की योजना करता है। इस आधार पर कई शिक्षकों के वाहन, मकान एवं बच्चों के शिक्षा ऋण, बीमा आदि की किस्तें प्रतिमाह भरी जाती है। जुलाई 2019 के बाद से किसी प्रकार के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं की गई है, अतः उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ती महंगाई में तुल्य रूप से आर्थिक क्षमता कम ही हुई है। इस कारण शिक्षक अपने जीवन स्तर को बनाए रखने तथा अपनी पूर्व नियोजित देनदारियों को चुकाने में स्वयं को मुश्किल में पा रहे हैं । इस परिस्थिति में केवल एक माह ही नहीं बल्कि सितंबर माह से 2 दिन के वेतन के काटे जाने का निर्णय गंभीर एवं अनिश्चितकालीन संकट में डालने वाला है क्योंकि सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि यह कटौती कब तक होने वाली है?रुक्टा (राष्ट्रीय) ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वेतन कटौती के इस निर्णय पर पुनर्विचार कर इसे वापस लिया जाए ताकि राज्य कर्मचारियों में सरकार के प्रति विश्वास बना रहे और वे संघर्ष की राह पर जाने के लिए विवश ना हो।


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