


Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। 538 वें बीकानेर स्थापना दिवस कार्यक्रमों की श्रृंखला में सोमवार को होटल लक्ष्मी निवास पैलेस में ‘मीडिया का बदलता स्वरूपः तब और अब’ विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई।
संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सहभागिता निभाई, अनेक वक्ताओं ने चर्चा में शिरकत की।
प्रारंभ में राव बीकाजी संस्थान के सचिव नरेन्द्र सिंह स्याणी ने स्वागत उद्बोधन दिया। मनीषा आर्य सोनी ने गीत की प्रस्तुति दी।
जनसंपर्क विभाग के उप निदेशक डॉ. हरि शंकर आचार्य ने विषय प्रवर्तन के साथ इसकी शुरूआत की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के दौर में हमें और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने से पहले तथ्यों की प्रामाणिकता जरूरी है। उन्होंने महर्षि नारद के समय से अब तक के बदलावों के बारे में बताया।




संगोष्ठी संयोजक राजेन्द्र जोशी ने बताया कि इसमें पचास से अधिक वक्ताओं ने भागीदारी निभाई और पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर चर्चा की। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मिशनरी पत्रकारिता के दौर से आज तक पत्रकारिता ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। इनसे पत्रकारिता में और अधिक निखार आया है।
वरिष्ठ पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि मीडिया के साथ समाज, राजनीतिक परिदृश्य सहित विभिन्न बिंदुओं के बदलाव पर भी चर्चा की जानी चाहिए। राजस्थान पत्रिका के सम्पादकीय प्रभारी बृजेश सिंह ने कहा कि सच्चा पत्रकार वह है जो पीछे रहकर प्रत्येक स्थिति को समझे और पक्ष-विपक्षीय पहलुओं से रूबरू होते हुए निष्पक्ष रिपोर्टिंग करें।
फर्स्ट इंडिया राजस्थान के स्टेट हेड लक्ष्मण राघव ने कहा कि जिस प्रकार प्रत्येक क्षेत्र में बदलाव आए हैं, उसी प्रकार मीडिया में भी बदलाव आना लाजमी है। उन्होंने कहा कि पत्रकार जनहित के छोटे-छोटे मुद्दे प्राथमिकता से उठाए और अपने क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का बीड़ा उठाए। वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र आचार्य ने कहा कि आजादी से लेकर अब तक बदलाव के बारे में बताया।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुलसचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों से इसकी जानकारी दी। गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला डुकवाल ने कहा कि देश को आजादी दिलाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण थी। समय के साथ मीडिया की भूमिका में बदलाव भले ही आया हो, मगर यह बदलाव सकारात्मक है।
उद्यमी डॉ. नरेश गोयल ने कहा कि आजादी के संग्राम के दौर मे अनेक महापुरूषों ने पत्रकारिता को अपनाया और आजादी की अलख जगाई। संजय पुरोहित ने कहा कि पत्रकार जनहित के छोटे-छोटे मुद्दों को उठाएं। वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि बदलाव को स्वीकार करना समय की आवश्यकता है।
इस दौरान संपादक जितेंद्र व्यास, राजाराम स्वर्णकार, डॉ. रितेश व्यास, यशपाल आचार्य, जुगल किशोर पुरोहित, मोइनुद्दीन कोहरी, आत्माराम भाटी ,अशफाक कादरी , डाॅ.पूजा मोहता, डाॅ.रामलाल परिहार, योगेन्द्र पुरोहित, इसरार हसन कादरी, दयानंद शर्मा, राहुल जादूसंगत, मधुसूदन सोनी, मोइनुद्दीन कोहरी, अजीज भुट्टा, अभिषेक आचार्य, सहित अनेक लोगों ने विचार व्यक्त किए। डॉ. फारूक चौहान और रामलाल सोलंकी ने आभार जताया।




