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IMG 20250520 135711 1 नवतपा पर राजस्थानी कहावत का गहरा है अर्थ : ''दोए मूसा, दोए कातरा,ए मूसा, दोए कातरा'...अर्थ है गहरा, आप भी समझिए Bikaner Local News Portal देश
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Thar पोस्ट न्यूज। नवतपा का विशेष महत्व है जो कि राजस्थान की जलवायु जन जीवन से जुड़ा है। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव का प्रवेश 25 मई से हो रहा है । रोहिणी के प्रारम्भिक नो दिन बहुत गरम होते हैं । भारतीय मौसम विज्ञान में इसे नवतपा कहा गया है । इन नो दिनों में सूर्य जितना तपेगा, लू चलेगी, वर्षाकाल उतना ही अच्छा होगा ।

इस सम्बन्ध में मारवाड़ी में एक कहावत है ।“दोए मूसा, दोए कातरा, दोए तिड्डी, दोए ताव । दोयां रा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव ।।” इसका तात्पर्य यह है कि पहले दो दिन हवा (लू) न चले तो चूहे अधिक होंगे । दूसरे दो दिन हवा न चले तो कातरे (फसलों को नष्ट करने वाले कीट) बहुत होंगे । तीसरे दो दिन हवा न चले तो टिड्डी दल आने की आशंका रहती है । चौथे दिन हवा न चले, तो बुखार आदि रोगों का प्रकोप रहता है । पाँचवें दो दिन हवा न चले, तो अल्प वर्षा, छठे दो दिन लू न चले तो जहरीले जीव-जन्तुओं (साँप-बिच्छू आदि) की बहुतायत और सातवें दो दिन हवा न चले तो आँधी चलने की आशंका रहेगी । सरल अर्थ में अगर हम समझें तो अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अण्डे समाप्त हो जाते हैं । क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है ।एक अन्य कहावत में रोहिणी के बारे में कहा गया है-

“पैली रोहण जळ हरै, बीजी बोवोतर खायै ।

तीजी रोहण तिण खाये, चौथी समदर जायै ।।”

रोहिणी नक्षत्र के पहले हिस्से में वर्षा हो तो अकाल की सम्भावना रहती है और दूसरे हिस्से में बारिश हो, तो बहुत दिनों ते जांजळी पड़ती है अर्थात पहली वर्षा होने के बाद दूसरी वर्षा अधिक दिन बाद होती है । यदि तीसरे हिस्से में बारिश हो, तो घास का अभाव रहता है और चौथे हिस्से में बादल बरसें, तो अच्छी वर्षा की उम्मीद रखनी चाहिए ।

वर्षा की भविष्यवाणी को लेकर एक अन्य कहावत है-

“रोहण तपै, मिरग बाजै ।

आदर अणचिंत्या गाजै ।।”

यदि रोहिणी नक्षत्र में गर्मी अधिक हो तथा मृग नक्षत्र में खूब आंधी चले तो आर्द्रा नक्षत्र के लगते ही बादलों की गरज के साथ वर्षा होने की संभावना बन सकती है।


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