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img 20250310 wa00657652182468439817553 लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा-सम्मान डॉ. सैनी, जांगिड़ एवं हर्ष को अर्पित Bikaner Local News Portal साहित्य

Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर
देश के ख्यातनाम साहित्यकार, चिंतक, रंगकर्मी एवं शिक्षाविद् कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की दूसरी पुण्यतिथि पर प्रज्ञालय संस्थान एवं श्रीमती कमला देवी-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट द्वारा आयोजित चार दिवसीय ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ समारोह के अन्तिम दिन आज सांय 5 बजे द्वितीय राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा सम्मान का आयोजन लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में आयोजित हुआ।

राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. भंवर भादाणी ने कहा कि स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा कि समृद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परंपरा को जन-जन तक ले जाने के साथ विशेष तौर से नई पीढ़ी उनके विराट व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा ले पाएं, इसी महत्वपूर्ण सोच के साथ राज्य स्तरीय प्रज्ञा सम्मान अपने आप में एक नवाचार तो है ही साथ ही बीकानेर के गौरव क्षण भी है।

डॉ. भादाणी ने आगे कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत के पुरौधा थे। जिन्होने जीवन के अन्तिम क्षणों तक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक साधना कर 200 से अधिक विभिन्न विधाआंे की पुस्तकों का सृजन किया।

समारोह के मुख्य अतिथि संभाग जिला परिवहन अधिकारी अनिल पण्ड्या ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्व. रंगा ने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण प्रसंगों को समकालीन संदर्भो में पाठकों तक पहुंचाया। उन्होने साहित्य, रंगकर्म एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सृजनात्मक-संवेदनात्मक ऊर्जा के साथ महत्वपूर्ण अवदान दिया।

समारोह के विशिष्टि अतिथि महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि स्व. रंगा के विराट व्यक्तित्व और कृतित्व से नई पीढी को प्रेरणा लेकर उनकी समृद्ध साहित्यिक एवं कला परंपरा को आगे ले जाना होगा।

स्व. रंगा अपनी मातृभूमि और मातृभाषा के प्रति आत्मिक लगाव के साथ सृजनरतन रहे। आपके द्वारा राजस्थानी भाषा की मान्यता के साथ-साथ साहित्य और सांस्कृतिक योगदान को समाज हमेशा याद रखेगा।

समारेाह के स्वागताध्यक्ष शिक्षाविद् संजय सांखला ने सभी का स्वागत करते हुए स्व. रंगा के साहित्य से इत्र अन्य कलानुशासनों, नृत्य, मंच निर्देशन, संपादन, कला आदि के बारे में बताते हुए चार दिवसीय समारोह को एक नवाचार बताया।

‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने अपने पिताश्री के बारे में बताते हुए कहा कि उनकी सृजन यात्रा 1947 से प्रारंभ हुई। आपने 60 के दशक मंे बीकानेर में सात दिवसीय युवा समारोह का सूत्रपात किया। जयपुर में रंगशाला सांस्कृतिक संस्थान की स्थापना की आपकी 175 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी है।

आपने राजस्थान व अन्य प्रदेशों में नाटक, नृत्य, नाटिकाएं प्रस्तुत की है। आप 1959 से आकाशवाणी जयपुर व बीकानेर से जुडे, आप द्वारा राजस्थानी व संस्कृत नाटकों में अभिनय किया गया। इस तरह उनका बहुप्रतिभावान व्यक्तित्व हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा।

राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा सम्मान से सम्मानित होने वाली साहित्य क्षेत्र की विभूति चिड़ावा के वरिष्ठ साहित्यकार श्याम जांगिड़ की समृद्ध साहित्यिक यात्रा को रेखांकित करते हुए उनके सम्मान-पत्र का वाचन डॉ. कृष्णा आचार्य ने किया।

शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में प्रज्ञा सम्मान से समादृत होने वाले शिक्षा क्षेत्र की समर्पित प्रतिभा, वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं शोधकर्मी डॉ. मदन सैनी के शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में दिए गए उल्लेखनीय योगदान को रेखांकित करते हुए उनके सम्मान-पत्र का वाचन संजय आचार्य वरूण ने किया।
रंगमंच के क्षेत्र में प्रज्ञा सम्मान से समादृत होने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी रामसहाय हर्ष की लंबी एवं समर्पित रंग साधना एवं रंग-निष्ठा का उल्लेख करते हुए उनके सम्मान-पत्र का वाचन अविनाश व्यास ने किया।

राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा सम्मान डॉ. सैनी, जांगिड़ एवं हर्ष को समारोह के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि को कमल रंगा एवं राजेश रंगा द्वारा माला अर्पण, श्रीफल, शॉल, सम्मान-पत्र आदि अर्पित किया गया।

अपने सम्मान के प्रतिउतर में श्याम जांगिड़ ने कहा कि रंगा का साहित्य कालजयी था तो डॉ. मदन सैनी ने कहा कि उन्होने पौराणिक संदर्भ को नई व्याख्या दी एवं शिक्षा में कई नवाचार किए। रामसहाय हर्ष ने स्व. रंगा को रंग साधक-रंग निष्ठावान एवं समर्पित रंगकर्मी बताया।
इस अवसर पर अतिथियों को कमल रंगा, राजेश रंगा, पुनीत रंगा, आशीष रंगा ने स्मृति चिह्न अर्पित किया।

राज्य स्तरीय प्रज्ञा अर्पण समारोह में डॉ. अजय जोशी, श्रीमती इन्द्रा व्यास, राजेन्द्र जोशी, योगेन्द्र पुरोहित, गिरिराज पारीक, कासिम बीकानेरी, पुनीत कुमार रंगा, डॉ. मोहम्मद फारूख, शंभुदयाल व्यास, भवानी सिंह, आशीष रंगा, एड. द्वारका प्रसाद पारीक, बिन्दुप्रसाद रंगा, सुशील रंगा, रामेन्द्र हर्ष, तोलाराम सारण, कार्तिक मोदी, अशोक शर्मा, हेमलता व्यास, भवानी सिंह, बबीता, अलका रंगा, अंजू, रेखा वैष्णव, प्रेम नारायण व्यास, कृष्णचंद्र पुरोहित, शंकरलाल तिवाड़ी, शंशाक जोशी, शिवशंकर शर्मा, मदन जैरी, पवन राठी, हरिकिशन व्यास, भैरूरतन छंगाणी, हरि किशन व्यास, अशेाक सैन, राहुल आचार्य, अरूण व्यास ।

संचालन वरिष्ठ उद्घोषक ज्योति प्रकाश रंगा ने किया एवं सभी का आभार गिरिराज पारीक ने ज्ञापित किया।


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