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IMG 20220207 151153 बीकानेर के इस संगीतकार के बारे में लता मंगेशकर ने कही थी यह बात* लता जी का एक और रोचक किस्सा-देखो यह लड़का मेरा पीछा करता है ! Bikaner Local News Portal मुंबई
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Thar पोस्ट, मुम्बई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर के संगीत खजाने में फ़िल्म पाकीज़ा के गाने रत्न की तरह है। इसके संगीतकार गुलाम मोहम्मद की पहचान नौशाद के सहायक केरूप में ही थी। वे बीकानेर के थे। राजस्थानी लोक-संगीत सुनते हुए वे बडे़ हुए थे। उनकी परवरिश भी ऐसे ही माहौल में हुई थी, जहां संगीत फैला था। पाकीजा का गीत ठाड़े रहियो. मूल रूप से राजस्थानी मांड पर आधारित था, जो यह बताता है कि उनमें लोक संगीत कितना बसा था। सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर ने एक बार अपने साक्षात्कार में यह स्वीकार किया था कि फ़िल्म पाकीज़ा और महल के गानों में शुरू में इतना उत्साह नहीं था। महल का गाना- आएगा आने वाला को तो बहुत ठंडा गाना था। वहीं पाकीज़ा फ़िल्म के लिए लगातार संगीतकार नोशाद से चर्चा होती रही। लताजी ने माना कि बीकानेर के गुलाम मोहम्मद संगीतबद्ध पाकीज़ा नही करती तो संगीत साधना कुछ अधूरी ही रहती। बीकानेर के गुलाम मोहम्मद को फिल्म मिर्जा गालिब के संगीत के लिए उन्हें संगीतकार का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उनकी बेहतरीन फिल्म पाकीजा 1972 में रिलीज हुई थी। इसके बनने में काफी बाधाएं आई थीं और इसकी जड़ में मीना कुमारी और कमाल अमरोही के रिश्ते में आई कड़वाहट थी। वे इस फिल्म की रिलीज से चार साल पहले ही यानी 17 मार्च 1968 को अपने ही बनाई गीत की धुन चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो. की तरह चांद के पार चले गए और छोड़ गए कुछ सुरीले गीत-संगीत.।

किशोर कुमार से पहली दिलचस्प मुलाकात
40 के दशक में लता ने फिल्मों में गाना शुरू ही किया था, तब वह अपने घर से लोकल ट्रेन से मलाड जाती थीं। वहां से उतरकर स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज जाती थीं। रास्ते में एक लड़का उन्हें घूरता और पीछा करता था। एक बार लता खेमचंद प्रकाश की फिल्म में गाना गा रही थीं। तभी वह लड़का भी स्टूडियो पहुंच गया। उसे वहां देख लता ने खेमचंद से कहा कि चाचा, ये लड़का मेरा पीछा करता रहता है। तब खेमचंद ने कहा, अरे! ये तो अपने अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर है। उसके बाद दोनों ने उसी फिल्म में पहली बार साथ में गाना गाया।

पहला गाना, जिससे जानने लगे लोग….
1949 में आएगा आने वाला’ के बाद उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ने लगी। इस बीच उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ लता ने काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एसडी बर्मन, आरडी बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने उनकी प्रतिभा का लोहा मान लिया।


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