Thar पोस्ट। एक ओर जहां मॉनसून के सीजन में आमजन के चेहरे खिल जाते है, उत्साह रहता है। वहीं अनेक लोगों को तनाव, चिड़चिड़ापन, उदासी थकान आदि महसूस होते है। यहां तक कि कई लोग डिप्रेशन की शिकायत लेकर चिकित्सकों के पास पहुंच जाते हैं। इनमें उन लोगो की संख्या अधिक है जो ज्यादा अंधेरे या कम रौशनी वाले इलाकों में रहते हैं। सूरज की किरणों से दूर रहने का बुरा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। मॉनसून के दिनों में बादलों की लुका छुपी के कारण सूरज की किरणें हम तक नहीं पहुंच पातीं जिसके कारण सुस्ती, मानसकि थकान, ऊर्जा की कमी, उदासी कमजोर जैसे लक्षण महसूस होते हैं। ये है कारण
चिकित्सकों के अनुसार मॉनसून के दिनों में यूवी एक्सपोजर कम हो जाता है। इससे हमारे शरीर में मेलाटोनिन, सेरोटोनिन और विटामिन-डी की कमी हो जाती है। सेरोटोनिन की कमी से मूड और भूख प्रभावित होती है। मेलाटोनिन की कमी से सुस्ती व मानसिक थकान, उदासी महसूस हो सकती है और विटामिन-डी की कमी के कारण तनाव महसूस हो सकता है। मॉनसून में ज्यादातर लोगों का काम प्रभावित होता है जो भी तनाव का एक कारण हो सकता है। मॉनसून में सामाजिक दूरी का असर भी सेहत पर पड़ता है। मॉनसून के दिनों में लोग आलस्य के कारण फिजिकल एक्टिविटी कम कर देते हैं। ऐसा करने से शरीर सुस्त हो जाता है और एनर्जी लेवल कम हो जाता है जिससे तनाव महसूस हो सकता है। इसलिए आपको हर दिन एक्सरसाइज करना चाहिए। मॉनसून के दिनों में घर पर रहकर एक्सरसाइज करें। अच्छी डाइट ले, पर्याप्त मात्रा में पानी पिये।