Thar पोस्ट, न्यूज (जितेन्द्र व्यास)। आखिर यह होलिका कौन थी? अपने विवाह के दिन ही वह भस्म हो गई। ऐतिहासिक बीकानेर में होलिका का दूल्हा भी पहुंचता है? होलिका दहन की आखिर क्या कहानी है। दरअसल, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का विवाह इलोजी से तय हुआ था और विवाह की तिथि पूर्णिमा निकली। इसके साथ ही हिरण्यकश्यप अपने बेटे भक्त प्रहलाद की भक्ति से परेशान था। उसकी महात्वाकांक्षा ने बेटे की बलि को स्वीकार कर लिया। बहन होलिका के सामने जब उसने यह प्रस्ताव रखा तो होलिका ने पहले तो इंकार कर दिया, क्योंकि उसका विवाह था। लेकिन हिरण्यकश्यप ने उसके विवाह में खलल डालने की धमकी दी। इससे बेबस होकर होलिका ने भाई की बात मान ली। और प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठने की बात स्वीकार कर ली। होलिका, अग्नि की उपासक थी और अग्नि का उसे भय नहीं था। उसी दिन होलिका के विवाह की तिथि भी थी। दूसरी ओर इन सब बातों से बेखबर इलोजी बारात लेकर आ रहे थे। होलिका ने श्रीकृष्ण भक्त प्रहलाद को जलाने की कोशिश की लेकिन स्वयं जलकर भस्म हो गई। जब इलोजी बारात लेकर पहुंचे तब तक होलिका की देह खाक हो चुकी थी। इलोजी यह सब सहन नहीं कर पाए और उन्होंने भी दहकती अग्नि में कूद लगा दी। तब तक आग बुझ चुकी थी। लेकिन अपना संतुलन खोकर वे राख और लकड़ियां फेंकने लगे। ऐतिहासिक बीकानेर शहर के साले की होली जग जाहिर है। यही वह इलाका है जहाँ दूल्हा इलोजी अपनी बारात के साथ आता है। इसे देखने के लिए पूरा शहर उमड़ता है। यहां तक कि घरों की छतें भी लोगों से भर जाती है। केवल यही इस परंपरा का निर्वाह होता है। नवविवाहित दूल्हे-दुल्हन यहां पहुंचकर आशीर्वाद मांगते है।
मुहूर्त : साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। 24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।