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IMG 20241028 WA0198 ग़ज़ल संग्रह "लम्स" का विमोचन** रामायण " "इशारा" की रंगमंचीय प्रस्तुति Bikaner Local News Portal साहित्य
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Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। संवेदना के स्तर पर माहिर बीकानेरी की गज़लें अवाम को प्रभावित करती है क्योंकि इनकी गज़लें समसामयिक विषयों पर वैचारिक धरातल तैयार करती है और इनकी ग़ज़लों में आम आदमी की पीड़ा बेबसी और तकलीफें प्रकट होती है । यह कहना था साहित्यकार और केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सदस्य डॉक्टर बृज रतन जोशी का जो अस्मत अमीन सभागार में बीकानेर के वरिष्ठ शायर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की हाल ही प्रकाशित कृति लम्स पर अपना अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे । सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी बीकानेर के अध्यक्ष नदीम अहमद नदीम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि माहिर शायरी की शानदार परंपरा का निर्वहन करने वाले उस्ताद शायर हैं ।अपने दादा हजरत बेदिल और पिता मोहम्मद अयूब सालिक के साहित्यिक संस्कारों को आत्मसात किया नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। मुख्य अतिथि शायर रवि शुक्ला ने कहा कि गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की गजलों को पढ़कर लगता है कि आप इंसानियत को गहराई तक बेहतर समझ सकते हैं तभी तो इनके अशआर पढ़कर आम आदमी आश्चर्यचकित रह जाता है कि गूढ़ बातों को कितनी सहजता से संप्रेषित कर देते हैं संप्रेषणीयता का यह गुण माहिर को दीगर शायरों से अलग करता है ।

साहित्यकार संजय जनागल ने कहा की गुलाम मोहियूद्दीन माहिर ऐसे शायर है जो समाज की संगतियों को उजागर तो करते हैं साथ ही कमजोर आदमी को साहस के साथ संघर्ष की प्रेरणा भी देते हैं । आपकी गजलों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मोटिवेशन के तत्व पाठक महसूस कर सकते हैं । लम्स के विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मुफ्ती सद्दाम हुसैन कासमी ने कहा कि माहिर की गजलों में सूफीवाद झलकता है और आप सही अर्थों में मानवता को प्रतिष्ठित करने वाले बेजोड़ शायर हैं ।

विशिष्ट अतिथि जीत सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की शायरी में रिवायत और आधुनिक बोध का का अनूठा संगम है। सोशल प्रोगेसिव सोसायटी बीकानेर की ओर से इरशाद अज़ीज़, संजय आचार्य वरुण ,अब्दुल जब्बार जज्बी ने गुलाम मोहियूद्दीन माहिर को शॉल ,श्रीफल, अंग वस्त्र, और साहित्य भेंटकर सम्मान किया । कार्यक्रम में अस्मत अमीन, तस्नीम बानों, विजय शर्मा ,प्रदीप भटनागर , संजय पुरोहित, आत्माराम भाटी,दयानंद ,अल्लाह दीन निर्बाण , शर्मा ,डॉक्टर सीमा भाटी ,शिवनाम सिंह , सी ए सुधीश शर्मा ,आदित्य शर्मा ,नीतू ढल्ला ,सुषमा गहलोत घनश्याम गहलोत, इमरोज़ नदीम, विजय सिंह राठौर , मोहम्मद शकील गौरी सहित अनेक गणमान्य लोगों की गरिमामय उपस्थित रही ।
कार्यक्रम का संचालन मुफ्ती सद्दाम हुसैन कासमी और अरमान नदीम ने किया ।

उर्दू नज़्म “रामायण ” “इशारा” की रंगकर्मी जीत सिंह द्वारा रंगमंचीय अंदाज में प्रस्तुति

एक बेहतरीन कलाकार अपनी प्रतिभा से किसी भी रचना को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर आमजन का ध्यान तो आकर्षित करता ही है साथ ही रचना को हर युग में प्रासंगिक बने रहने में भी योगदान देता है । यह कहना था वरिष्ठ शायर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर का जो अस्मत अमीन सभागार में वरिष्ठ रंगकर्मी जीत सिंह द्वारा उर्दू नज्म रामायण तथा मस्तान बीकानेरी की ऐतिहासिक नज़्म इशारा की शानदार प्रस्तुति पर विचार व्यक्त कर रहे थे । मधुमति के पूर्व संपादक तथा केंद्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य साहित्य डॉक्टर बृज रतन जोशी ने बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में कहा कि बादशाह हुसैन राना तथा मस्तान बीकानेरी कालजयी रचनाकार थे जिनकी रचनाओं में आज भी सम्मोहन सा है उनकी चर्चित रचनाएं रामायण तथा इशारा की प्रस्तुति रंगकर्मी जीत सिंह ने जिस अंदाज में की है उसमें रचनाकारों के सम्मान में अभिवृद्धि हुई है तथा श्रोताओं में दीगर रचनाएं पढ़ने के प्रति रुचि यह बताती है कि कार्यक्रम रचनात्मक और सार्थक रहा है। डॉक्टर जोशी ने कहा कि मस्तान बीकानेरी की नज़्म इशारा जब भी सुनते या पढ़ते हैं तो आंखें नम हो जाती है कार्यक्रम के प्रारंभ में सोशल प्रोगेसिव सोसायटी बीकानेर के अध्यक्ष नदीम अहमद नदीम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी तथा कहा की संस्था शिक्षा ,साहित्य और विरासत संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही है युवा साहित्यकार इमरोज़ नदीम द्वारा उर्दू नज़्म रामायण को गायन शैली में प्रस्तुत किया गया तथा रामायण पर जारी डाक टिकटो एवं मिनिएचर का प्रदर्शन भी किया गया ।विशिष्ट अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए शायर रवि शुक्ला ने कहा कि जश्ने चरागा जैसे कार्यक्रम समाज में जहां विश्वास मजबूत करते हैं वही सौहार्द और अपनेपन को बढ़ावा देते हैं । रवि शुक्ला ने इस अवसर पर उर्दू साहित्य के साहित्यकार खुर्शीद अहमद को याद करते हुए कहा कि खुर्शीद अहमद ने रामायण तथा ऐसी अनेक रचनाओं का देवनागरी में लिप्यांतरण करके साहित्यिक सौहार्द की जो परंपरा प्रारंभ की उसे जारी रखना हम सब की महत्ती जिम्मेदारी है ।मुफ्ती सद्दाम हुसैन कासमी ने नज़्म रामायण के रचयिता बादशाह हुसैन राना का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया ।
जीत सिंह का सम्मान शाल , श्रीफल , साहित्य, अंगवस्त्र भेंट कर विजय शर्मा ,संजय जनागल, संजय पुरोहित, अब्दुल जब्बार कादरी द्वारा किया गया ।
गुलाम मोहियुद्दीन माहिर का सम्मान डॉक्टर सीमा भाटी , मीतू ढल्ला , सुषमा गहलोत ,रवि पुरोहित द्वारा किया गया । डॉक्टर बृज रतन जोशी का सम्मान दयानंद शर्मा,सुधीश शर्मा ,आदित्य शर्मा ,मनिंदर सिंह भुई ने शाल, श्रीफल ,साहित्य, अंगवस्त्र भेंट कर किया ।
कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से मुफ्ती सद्दाम हुसैन और युवा साहित्यकार अरमान नदीम ने किया । कार्यक्रम में संजय जनागल अब्दुल शकूर सिसोदिया इसरार हसन कादरी गोविंदराम गोदारा प्रदीप भटनागर विजय सिंह राठौड़ , अल्लाह दीन निर्बाण,दयानंद शर्मा जितेंद्र भाटी आत्माराम भाटी अब्दुल जब्बार कादरी, घनश्याम गहलोत मोहम्मद शरीफ गौरी ,सुनील गज्जानी ,दर्शन सिंह , मुहम्मद शकील गौरी,सीमा भाटी नीतू ढल्ला, सुषमा गहलोत ,इरशाद अजीज संजय आचार्य वरुण , आदि की उपस्थिति रही ।

 

 


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