


Thar पोस्ट न्यूज। राजस्थान में भी ऑपरेशन सिंदूर’ का असर देखा गया है। राजस्थान के जैसलमेर के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन गतिविधियों में तेज हो गई. इस तेज शोर ने मरुस्थल के नाजुक जीवों के लिए खतरे की घंटी बजा दी. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए जैसलमेर स्थित प्रजनन केंद्रों से ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ पक्षी गोडावण के 9 चूजों को अजमेर शिफ्ट कर दिया गया है.


इस बारे में वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ये सभी चूजे 5 से 28 दिन के हैं और उन्हें विशेष रूप से तैयार ‘सॉफ्ट सस्पेंशन’ वाहनों में अजमेर जिले के अरवर गांव लाया गया. इन वाहनों में रेत के बिछावन और गद्देदार डिब्बों की व्यवस्था थी, ताकि यात्रा के दौरान नाजुक चूजों को किसी तरह की परेशानी न हो.
मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान (डीएनपी) के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि इन चूजों को जैसलमेर के सुदासरी और रामदेवरा प्रजनन केंद्रों से लाया गया है. ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और देश में गोडावण संरक्षण के लिए चल रहे इकलौते प्रमुख स्थल हैं.
इस साल भारतीय वन्यजीव संस्थान और राज्य वन विभाग की संयुक्त पहल से करीब 18 चूजों का जन्म हुआ है. वर्तमान में जैसलमेर प्रजनन केंद्र में कुल 59 गोडावण हैं, जिनमें से 9 को तात्कालिक रूप से अजमेर भेजा गया है।
गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को वर्ष 2011 में IUCN की ‘गंभीर रूप से संकट प्रजाति की सूची में शामिल किया गया था. यह पक्षी बेहद संवेदनशील होता है और तेज आवाजें इसके लिए घातक साबित हो सकती हैं.। सैन्य गतिविधियों और ड्रोन संचालन से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण ने इन परिंदों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी थी.

