Thar पोस्ट (विशेष)। बीकानेर में भी परिवेश तेजी से बदल रहा है। महानगरों की तरह अब बीकानेर में भी जगह जगह-जाम लग रहे है। कोई भी मार्ग अब इससे अछूता नहीं है। यही हालत रहे तो बीकानेर के प्रमुख मार्गों में लोग घंटों तक फंसे रहेंगे। इसमे अस्पताल जाने वाले मरीज भी शामिल होंगे। बीकानेर की कोटगेट व सांखला रेलवे फाटक समस्या आज भी राजनीति के आगोश में फल-फूल रही है। इसका समाधान निकट भविष्य में जमीनी स्तर पर होगा, यह दिखाई नहीं दे रहा। केवल आश्वासन बीकानेर की जनता को मिलते रहे है। वर्तमान में …
यातायात व्यवस्था बेपटरी है। दरअसल, पूरे सिस्टम में ही लोचा है। दुनिया के सभी विकसित देशों में पहले व्यक्ति सुधरा, फिर उसका घर व कॉलोनी मोहल्ला आदि। इसके बाद शहर, स्टेट आदि और फिर पूरा देश बदला। लेकिन भारत में हम वोट ही इसलिए देते है कि कोई हमे सुधारे। बीकानेर में पूर्व संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने एक तरफा यातायात व्यवस्था दी। हम उसकी भी पालना नहीं कर पाए। कुछ तो हमारी भी जिम्मेदारी या हिस्सेदारी है इस बदहाल यातायात व्यवस्था को सुधारने में। हालात तो यह है कि कोटगेट व सांखला फाटक के पास हम यातायातकर्मी की तरफ देखते रहते है जैसे ही उनका ध्यान भंग हुआ। हम एक तरफा यातायात व्यवस्था को ही तोड़ देते हैं। रात 9 बजे बाद तो एक तरफा व्यवस्था भी नही रहती। अन्य विभागों की तरह यातायात विभाग के पास भी सीमित संसाधन है। रवैया ही हमारा गैर जिम्मेदाराना वाला है और इसी का परिणाम है दोनों तरफ जाम और केवल जाम। इस जाम से मुक्ति के लिए आओ हम सब मिलकर भी कुछ सहयोग करें, कम से कम एक तरफा सिस्टम को बढ़ावा देकर इसकी पालना तो कर ही सकते है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। शायद हमारी शिक्षा, संस्कारो में कुछ कमी रही होगी। वह दिन दूर नहीं जब हमारी यह जाहलियतगिरी पूरे यातायात सिस्टम को ही रौंद देगी, क्योंकि जनसंख्या का अत्यधिक दबाव होगा और संसाधन कम या सीमित। जारी… *जितेंद्र व्यास लखावत*