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IMG 20240530 192424 पत्रकारिता दिवस : रोचक मोड़ पर पत्रकारों की दुनिया Bikaner Local News Portal देश
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Thar पोस्ट (जितेंद्र व्यास)। आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है और सम्पादकों, पत्रकारों को इसकी शुभकामनाएं भी भेजी जा रही है। देश के शहरों में पत्रकारों का कुनबा या इनसे जुड़े संगठन कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। हालांकि छोटे छोटे ग्रुप में पत्रकार बंट रहे है या उनको बांटा जा रहा है। पत्रकारिता अब नए रोचक मोड़ की ओर अग्रसर है यह अच्छा भी है और बुरा भी। जो हिंदी पत्रकारिता में अभी तक चल रहा या चलता आया है उसमें घुमाव है बदलाव है। यह बदलाव किस दिशा में ले जाएगा ? इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। जिन मीडिया संस्थानों के लिए पहले तक सब कुछ आसान था, वह अब नहीं रहा। यहां तक कि बड़े मीडिया घराने किसी तरह अपने संस्थानों को चलाने को बाध्य है। उन्हें अपने कार्मिकों की संख्या में कटौती करनी पड़ रही है। वेतन वृद्धि कम की जा रही है। बड़े औधोगिक घरानों के भी इन मीडिया संस्थानों के अत्यधिक दबाव है। इसके चलते न्यूज चैनल व समाचार पत्रों में उन्हीं खबरों को महत्व मिलता है। आम आदमी की समस्याओं के विपरीत अभिनेता, अभिनेत्री या किसी सेलिब्रेटी की शादी या प्री वेडिंग की खबरें दिनभर चलती है ताकि किसी तरह उनकी टीआरपी बढ़े यही हालत न्यूज पेपर्स के भी है। हालांकि अखबारों के मालिकों के सामने भी नए संकट है। पाठकों की संख्या में गिरावट, विज्ञापन में कमी के साथ अत्यधिक दर, कागज, स्याही की कीमतों में इजाफा, रेवेन्यु आवक में कमी आदि के चलते देश में समाचार पत्रों व मैगजीन की दुकानें बन्द हो रही है या घट रही है। इसका बुरा असर पत्रकारों की जिंदगी पर भी हुआ है। यह एक सच्चाई है। हिंदी पत्रकारिता में हाल ही के वर्षों में सर्वाधिक असर मोबाइल व ऑनलाइन मीडिया की वजह से हुआ है। समाज का एक बड़ा वर्ग या कहें कि युवाओं सहित वरिष्ठ नागरिकों तक अब मोबाइल में समाचार देखते व पढ़ते है। ऑनलाइन मीडिया, सोशल मीडिया की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।  इसकी वजह है इसका आसानी से संचालन और विश्वयापी पहुंच। इसकी सुलभता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में न्यूज़ पोर्टल्स की न्यूज अमेरिकी व यूरोपीय देशों में पढ़ी देखी जाती है। देश के जो नागरिक अभी अन्य विकसित देशों में रह रहे है वो इन न्यूज पोर्टल्स के जरिये अपडेट रहते है। फ़िल्म, वेब सीरीज आदि की तरह अब न्यूज भी हर व्यक्ति की जेब में है मोबाइल पर लिंक खोलो और विस्तृत न्यूज आपके सामने। लगता है पत्रकारिता भी अब पुराना चोला छोड़ नए रंग रूट की ओर अग्रसर है। कभी मिशन के रूप में शुरू हुई पत्रकारिता वर्षों तक समाज का आईना रही, लेकिन किसी ने सोचा भी न था कि पत्रकारिता अब नए जलवे बिखेरेगी।


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