Thar पोस्ट, न्यूज बीकानेर। नत्थूसर गेट बाहर स्थित मां आशापुरा मंदिर के नवनिर्मित हॉल के लोकार्पण समारोह एवं भामाशाहों का सम्मान बुधवार को मंदिर परिसर में किया गया। देवीकुंड सागर स्थित श्री ब्रह्म गायत्री आश्रम के अधिष्ठाता पं रामेश्वरानंद महाराज के सानिध्य में हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका,विशिष्ट अतिथि समाजसेवी राजेश चूरा व जयचंद लाल डागा रहे। अध्यक्षता पं जुगलकिशोर ओझा पुजारी बाबा ने की। इस अवसर पर अतिथियों ने कहा कि समर्पित भाव से मंदिर निर्माण के लिये किया गया योगदान अनुकरणीय है। इन भामाशाहों ने हमेशा ही धार्मिक व सामाजिक कार्यों के लिये जो कार्य किया है। वो आने वाली पीढ़ी के लिये मील का पत्थर साबित होगा। जिसके लिये ये सभी साधूवाद के पात्र है। इस मौके पर मगनलाल चांडक ने सभी का स्वागत किया। आभार पुजारी नरसिंह व्यास ने जताया। संचालन विष्णु कुमार बिस्सा ने किया।
इन भामाशाहों का किया गया सम्मान
कार्यक्रम के दौरान पुरूषोत्तम पुगलिया,भागीरथ चांडक,देवकिशन चांडक देवश्री,गणेश बोथरा,मदनमोहन बृजमोहन चांडक,राजकुमारी चांडक,जितेन्द्र भाटी,चन्द्रमोहन मून्दड़ा,हनुमानदास चांडक,रामनारायण चांडक,गुलाबचंद बिस्सा,अरूण ओझा,रामचंद्र भाटी,श्रीराम चांडक,नंदकिशोर चांडक,प्रभात चांडक,मोतीलाल चांडक,बजरंगलाल तापड़िया,सांवर गहलोत,केवल चंद,विजयशंकर,भगवान दास करनाणी,गोविन्द राज,सुशीलादेवी,एम डी व्यास,अरूणा व्यास,सुशील कच्छावा,जोगेन्द्र माली,इन्दु माली,गोपाल कोठारी,विजय गोपाल राठी,सत्यानारायण माली,पंकज व्यास,आनंद पुरोहित,भैरू बिस्सा,विनोद सिंह,रमेश चांडक,जयनारायण सोनी,लक्ष्मीनारायण,रामेश्वर तापड़िया,चोरूलाल,मनीष सोनी,संतोष डागा,राधाकिशन चांडक,सत्यनारायण चांडक,भगवानदास,शिवकुमार ओझा,बुलाकीदास,श्रीचंद डागा,हनुमान दास,पूनमचंद सोनी,कन्हैयालाल सोनी,मोहन सोलंकी का सम्मान किया गया। इस अवसर पर महावीर रांका व जयचंद लाल डागा को भी भामाशाह के रूप में सम्मानित किया गया।
सप्तचंडी महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति
मंदिर परिसर में चल रहे 51 सहस्त्र चण्डी महायज्ञ की पूर्णाहुति भी हुई। पुजारी पं नृसिंह व्यास ने बताया कि पं राजेन्द्र किराडू के आचार्यत्व में 51 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ में प्रतिदिन 101 भगवती के पाठ व दस पाठ के मंत्रो के साथ आहुतियां दी गई। पूर्णाहुति पर महाआरती कर मां आशापुरा की प्रतिमा का अलौकिक श्रृंगार कर छप्पन भोग का प्रसाद भी चढ़ाया गया।