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IMG 20210303 WA0217 घर-घर मिलेगा जल कनेक्शन-डॉ कल्ला Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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1094 करोड़ रुपये राशि से जल जीवन मिशन के तहत घर-घर मिलेगा कनेक्शन-जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री।

Tp न्यूज़। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि वर्ष 2021-22 के बजट में 1094 करोड़ रुपये की लागत से जल जीवन मिशन के तहत घर-घर पानी कनेक्शन दिये जाने की घोषणा की गयी है। इसकी वृहत डीपीआर 30 अगस्त से पहले बनाकर जल्द से जल्द योजना को आगे बढ़ाया जायेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता को फ्लोराइड मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ. कल्ला प्रश्नकाल में विधायक श्री नारायण सिंह देवल के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि विधानसभा भीनमाल एवं रानीवाड़ा में फ्लोराइड मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के कार्य में लापरवाही बरतने वाली ठेकेदार फर्म की 20 करोड़ 98 लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि विभाग द्वारा रोक ली गयी है। उन्होंने बताया कि विभाग के एक्सईएन द्वारा 10 जून 2020 तक 12 नोटिस, एसई द्वारा 8 नोटिस, मुख्य अभियंता द्वारा 2 नोटिस दिये गये। इस प्रकार 22 नोटिस दिये गये।
उन्होंने बताया कि ये प्रोजेक्ट वर्ष 2013 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा चयन किया जाकर शुरू कराया गया था, उस दौरान ही लेट हुआ, जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने तो फर्म को 22 नोटिस तक दिये है। साथ ही अभी तक 70 प्रतिशत तक काम भी नहीं हुआ है तो परीक्षण कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि नर्मदा ई. आर. परियोजना में डीपीआर बनाने के लिए 2 करोड़ 33 लाख 64 हजार रुपये की मंजूरी 11 फरवरी 2021 को जारी कर दी गयी है।

इससे पहले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने विधायक श्री देवल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2001 की जनगणना अनुसार विधान सभा क्षेत्र भीनमाल के 77 ग्राम, विधानसभा क्षेत्र रानीवाड़ा के 24 ग्राम, विधानसभा क्षेत्र सांचौर के 112 ग्राम, विधानसभा क्षेत्र, आहोर के 22 ग्राम एवं विधानसभा क्षेत्र, जालौर के 21 ग्राम, इस प्रकार कुल 256 ग्राम एवं इनकी ढाणियों तथा भीनमाल शहर की पेयजल मांग सम्मिलित करते हुए नर्मदा का ई.आर. प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। उन्होंने बताया कि निर्धारित मानक गुणवत्ता अनुरूप पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नर्मदा नहर आधारित ई.आर. आधारभूत परियोजना की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति विभागीय नीति निर्धारण समिति की 191वीं बैठक में 19 सितंबर 2013 को 455.16 करोड़ रुपये राशि जारी हुई थी।

डॉ.कल्ला ने बताया कि इस परियोजना के कार्यों के निष्पादन के लिए मैसर्स एसपीएमएल इन्फ्रा. लिमिटेड, गुड़गांव (हरियाणा) को 24 सितंबर 2013 को 372.70 करोड़ रुपये की राशि का कार्यादेश जारी किया गया। उन्होंने बताया कि अनुबंधक फर्म ने 4 अक्टूबर 2013 को इस परियोजना का कार्य शुरू किया।

उन्होंने बताया कि अनुबंधक फर्म द्वारा परियोजना के कार्य धीमी गति से करने एवं तद्नुसार तय प्रोरेटा अनुसार प्रगति नहीं देने के कारण, इसका 67 प्रतिशत कार्य अब तक पूर्ण किया गया है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के शुरू होने के फलस्वरूप परियोजना का कार्य अनुबंधक फर्म 22 मार्च 2020 से बंद कर दिया गया। अभी तक कार्य शुरू नहीं किया गया है। अनुबंध के प्रावधान एवं शर्तों के अनुसार अनुबंधक फर्म की 20.98 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि विभाग द्वारा रोक ली गयी है।

डॉ. कल्ला ने बताया कि परियोजना के कार्यों की निर्धारित प्रगति नहीं देने एवं उक्त दिनांक से कार्य बंद किये जाने के कारण, अनुबंध के क्लॉज-2 एवं 3 के तहत कार्यवाही करते हुए इसका कार्य शीघ्र शुरू करने के लिए विभाग द्वारा 14 जुलाई 2020 और 13 नवंबर 2020 को अनुबंधक फर्म को नोटिस जारी किये गये हैं।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने बताया कि ई.आर. कलस्टर परियोजना के अंतर्गत जालौर जिले के उक्तानुसार शेष रहे 256 ग्रामों को कलस्टर वितरण प्रणाली से लाभांवित करने के लिए पूर्व में वर्ष 2016 में 449.82 करोड़ रुपये राशि की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) तैयार की गई थी, लेकिन वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता के दृष्टिगत उक्त डी.पी.आर. की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति तत्समय जारी नहीं की जा सकी।

उन्होंने बताया कि सतही जल स्रोत नर्मदा नहर आधारित ई.आर. कलस्टर पेयजल परियोजना के अंतर्गत जिला जालौर के विधानसभा क्षेत्र, भीनमाल के 77 ग्राम, विधानसभा क्षेत्र, रानीवाड़ा के 26 ग्राम, विधानसभा क्षेत्र, सांचौर के 160 ग्राम, विधान सभा क्षेत्र, आहोर के 22 ग्राम एवं विधानसभा क्षेत्र, जालौर के 21 ग्राम, इस प्रकार वर्ष 2011 की जनगणनानुसार कुल 306 ग्राम एवं इनकी ढाणियों में जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत घर-घर जल पहुंचाया जायेगा।

उन्होंने बताया कि पेयजल आपूर्ति करने के उद्देश्य से सर्वेक्षण एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) तैयार करने की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति राज्य स्तरीय स्कीम सैंक्शन कमेटी (एस.एल.एस.एस.सी.) की 20वीं बैठक 11 फरवरी 2021 को 233.64 लाख रुपये की जारी की गई है। उक्त कार्य के लिए सलाहकार फर्म नियुक्त की जाकर परियोजना की डी.पी.आर. बनाने का कार्य हाथ में लिया जायेगा।डॉ.कल्ला ने बताया कि वर्ष 2021-22 में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 12 नवीन वृहद् पेयजल परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ किये जाने के लिए 24 फरवरी 2021 को बजट घोषणा में, उक्त पेयजल परियोजना (लागत 1 हजार 94 करोड़ रूपये) को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि उक्तानुसार जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत ई.आर. कलस्टर परियोजना की डी.पी.आर. बनने के बाद इसकी वास्तविक लागत के आधार पर प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जाकर परियोजना का क्रियान्वयन शुरू किया जायेगा।

नवगठित ग्राम पंचायतों में भारत निर्माण राजीव गांधी केंद्र भवन बनते ही स्थापित होगी ई-मित्र मशीनें-ऊर्जा मंत्री

ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि ई-मित्र प्लस मशीनों के जरिये विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र बनाने की सुविधा के साथ-साथ आमजन को वीडियों कॉन्फ्रेसिंग से जोड़कर राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बताया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 14891 ई-मित्र प्लस मशीनों में से 14811 मशीनों पर कार्य शुरू हो चुका है तथा शेष 80 मशीनों पर कार्य नवगठित ग्राम पंचायतों पर भारत निर्माण राजीव गांधी केंद्र भवन नहीं बनने एवं बिजली एवं नेटवर्क कनेक्टिविटी की व्यवस्था नहीं होने के कारण नहीं हो पाया है। इसके लिए विभाग ने पंचायती राज विभाग से समन्वय स्थापित कर भवन तैयार होने के बाद मशीनों की स्थापना कर उनको क्रियाशील करने की कार्यवाही की जा रही है।

डॉ. कल्ला प्रश्नकाल के दौरान विधायक श्री जगसीराम के पूरक प्रश्न का सूचना प्रौद्योगिकी एंव संचार मंत्री की ओर से जवाब देते हुए बताया कि जिन ई-मित्र कियोस्कों के शिकायत मिलती है, उनके खिलाफ कार्यवाही करते है। इनमें ई-मित्र संचालक फर्म की पहली बार शिकायत पर 7 से 15 दिन तक निलंबित कर 1 हजार से 5 हजार रुपये तक पेनल्टी, दूसरी बार शिकायत पर 15 से 30 दिन तक निलंबित कर 10 हजार से 50 हजार रुपये तक पेनल्टी और तीसरी बार शिकायत मिलने पर उसे हटा दिया जाता है। फिर भी किसी फर्म को तीसरी बार शिकायत मिलने के बावजूद काम मिला हुआ है और जानकारी में लाया जाता है तो उनकी जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी।

उन्होंने बताया कि जिस ग्राम पंचायत में मशीनें खराब है, उससे संबंधित पंचायत समिति में फर्म द्वारा नियुक्त व्यक्ति तुरंत मौके पर जाकर मशीन दुरूस्त करता है। इसके अलावा ई-मित्र संचालन के लिए समय-समय जिला कलक्टर स्तर पर मॉनिटिरिंग हो रही है।

इससे पहले डॉ. कल्ला ने विधायक श्री जगसीराम के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि विभाग को ई-मित्र कियोस्कों द्वारा ई-मित्र के माध्यम से प्रदान की जा रही सेवाओं हेतु निर्धारित शुल्क से अधिक राशि वसूली एवं फर्जी दस्तावेजों की शिकायतें प्राप्त हुई है। जोधपुर संभाग में जनवरी 2019 से फरवरी 2021 तक निर्धारित राशि से अधिक राशि लिये जाने की 170 एवं फर्जी दस्तावेजों से संबंधित 3 शिकायतें प्राप्त हुई है। इनमें से 156 ई-मित्र कियोस्कों पर शास्ति लगाने एवं अस्थायी रूप से बंद करने की कार्यवाही की गई है। साथ ही 17 ई-मित्र कियोस्कों को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

उन्हाेंने बताया कि सरकार ने प्रदेश की ग्रामीण एवं शहरी जनता और सरकार को टेक्नोलॉजी के माध्यम से जोड़े जाकर ई-मित्र की सेवाएं सेल्फ सर्विस कियोस्क से प्रदान करने के उदेश्य से 9891 ई-मित्र प्लस मशीने ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत स्तर तक 198 करोड़ रुपये राशि की लागत से स्थापित की गयी। साथ ही 5000 ई-मित्र प्लस मशीनें शहरी क्षेत्र में 119 करोड़ रुपये राशि की लागत से स्थापित की गई है। इस तरह कुल 14 हजार 891 ई-मित्र प्लस मशीनें प्रदेश में 317 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित की गई है। इसी लागत में इन मशीनों के उचित रखरखाव के लिए 3 वर्ष तक के रखरखाव की व्यवस्था करके दो फर्मों के माध्यम से मशीनों का रख रखाव करवाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के ई-मित्र की कार्य प्रणाली में सुधार के लिए विभाग ने नई ’एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट’ (ईओआई) 1 जनवरी 2021 से लागू कर दी गई है। इससे स्थानीय सेवा प्रदाता तथा ई-मित्र कियोस्क धारक की जवाबदेही तय की गई है। इसके द्वारा ई-मित्र कियोस्क धारकों को प्रति 3 माह में प्रशिक्षण प्रदान नहीं करने, ई-मित्र कियोस्क द्वारा रेट लिस्ट नहीं लगाने, नागरिकों को सेवा देने से मना करने, माह में 1 भी लेन-देन नहीं करने, इत्यादि पर ई-मित्र कियोस्क पर शास्ति लगाने का प्रावधान किया गया है।

डॉ.कल्ला ने बताया कि जिला व ब्लाक कार्यालय अधिकारियों की ओर से ई-मित्र की कार्य प्रणाली के संबंध में नियमित रूप से बैठकें की जाती रही है और आगे भी नियमित रहेगी। ई-मित्र प्लस मशीनों की अधिकतम उपयोगिता विभाग द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। इनके आमजन द्वारा उपयोग में ली गई ई-मित्र सेवाओं के लगभग 31 लाख से अधिक तथा जनसूचना पोर्टल-2019 की सूचनाओं के लगभग 1 लाख 58 हजार से अधिक ट्रांजेक्शन किये जा चुके है।उन्होंने बताया कि ई-मित्र प्लस (ग्रामीण) मशीनों के माध्यम से उक्त कार्यो के अलावा राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा, प्रशिक्षण आदि मशीनों के द्वारा वीडियाें कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से उपयोग किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय संवाद, वेबिनार इत्यादि का प्रसारण आमजन के लिए किया जा रहा है। ई-मित्र प्लस मशीन के उपयोग में लगातार वृद्धि हो रही है।

गलत वीसीआर भरी गई है तो जांच कर कार्यवाही करेंगे-ऊर्जा मंत्री

जयपुर, 3 मार्च। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बुधवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि जो व्यक्ति घरेलू उपयोग के लिए ही पेयजल अपने कुओं से प्राप्त करते हैं, उनसे घरेलू बिजली की दर से ही बिल राशि वसूल की जाती है। फिर भी इस संबंध में यदि किसी व्यक्ति की वीसीआर गलत भरी गई है तो उसकी जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी।

डॉ.कल्ला प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को घरेलू बिजली पर 50 यूनिट तक खर्च पर 1.30 रुपये का अनुदान दिया जाता है। इसके तहत बीपीएल और लघु घरेलू परिवारों को राहत देते हुये 56 लाख परिवारों को 528 करोड़ रुपये का अनुदान प्रतिवर्ष दिया जा रहा हैं।

इससे पहले विधायक श्री रामनारायण मीना के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में डॉ. कल्ला ने बताया कि विद्युत की उपयोगिता के आधार पर राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग द्वारा विद्युत दरों को घरेलू, अघरेलू, कृषि, मिश्रित भार, विद्युत चलित वाहन एवं औद्यौगिक श्रेणी में बांटा गया हैं। इन श्रेणियों के लिए विद्युत दर का निर्धारण राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग द्वारा वितरण निगमों की प्रस्तुत याचिका पर आपत्तिकर्ताओं द्वारा दिये गये सुझावों को ध्यान में रखते हुए एवं व्यापक जन सुनवाई के पश्चात् किया जाता है।उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत स्तर पर टयूबवैल के जरिये पेयजल प्राप्त करने के लिए (केवल स्वयं के उपभोग हेतु) घरेलू कनेक्शन से विद्युत का उपयोग करने पर उपभोक्ता से घरेलू श्रेणी की दर से राशि वसूल की जाती है। इस सम्बन्ध में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।


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