ताजा खबरे
नागौरी तेलियान समाज का सामूहिक विवाह कलकेसरी सिंह बारहठ का त्याग, बलिदान युवाओं के लिए प्रेरक – प्रोफेसर डॉ. बिनानीभाजपा नेताओ ने आतिशबाजी कर जश्न मनायाबीकानेर राजपरिवार विवाद में न्यायाधीश, बीकानेर द्वारा मौका कमिश्नर की नियुक्तिबीकानेर :10 रुपए का सिक्का डालने से निकलेगा कपड़े का थैलामहाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की आंधी, झारखंड में जेएमएम, राजस्थान में टक्करराजस्थान : जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम किया, डीप फ़ीज़र में रखा, फिर चलने लगी सांसेंडॉ. नीरज के पवन आज बीकानेर में, बीकानेर संभाग में कार्यों का निरीक्षण करेंगेराजस्थान चुनाव : फलौदी सट्टा बाजार का आंकलन, इस दल की जीतराजस्थान और इटली के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक सेतु थे तेस्सीतोरी*
IMG 20210213 WA0261 हिंदी साहित्य में नव प्रयोग है ‘तटस्थ’ Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट, साहित्य
Share This News

Tp न्यूज़, बीकानेर। लेखक अविनाश व्यास की रचनाएं सामाजिक विद्रूपताओं को ना केवल दर्शाती हैं, वरन इनकी लेखनी में विषमताओं को दूर करने की पुरजोर शैल्पिक प्रयास भी है। लेखक की यह प्रथम कृति है और इसमें कहानियों, लघु कथाओं, कविताओं और गजलों को संग्रहित किया गया है। कवि-कथाकार अविनाश चंद्र व्यास की पहली पुस्तक ‘तटस्थ’ के विमोचन अवसर पर शनिवार को ओझा सत्संग भवन में आयोजित समारोह में अतिथियों ने यह उद्गार व्यक्त किए। केन्द्रीय साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि व्यास की रचनाएं समाज की प्रतिबिंब हैं। यह हमारे आसपास के माहौल से उपजी रचनाएं हैं। इनकी कविताओं में गहराई है, तो कहानियों में सामाजिक ताना-बाना और जीवन जीने की दृष्टि है।
वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि एक ही पुस्तक में अलग-अलग विधाओं को शामिल करना नया प्रयोग है। इसमें अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन व्यास इन पर खरे उतरे हैं। इनमें जीवन के अनेक पक्षों को उजागर किया गया है।
व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि आज के दौर में व्यास की रचनाएं बेहद प्रासंगिक हैं। इनमें सपाट बयानी है, जो कि पाठक मन को भीतर तक झकझोरती हैं। इससे पहले अतिथियों ने ‘तटस्थ’ पुस्तक का विमोचन किया। डाॅ. सत्यशंकर हर्ष ने स्वागत उद्बोदन दिया। आलोचक डाॅ. नीरज दइया ने कहा कि इस कृति में लेखक की विविध रचनाओं के माध्यम से साहित्य प्रांगण में एक दस्तक के रूप में देखा जाना चाहिए। उद्योगपति राजेश चूरा ने कहा कि व्यास ने बीकानेर की लेखकीय परम्परा को आगे बढ़ाया है। इस अवसर पर बलदेव जोशी, एस के आचार्य, ज्योतिमित्र आचार्य, श्रीराम बिस्सा, धर्मेश व्यास, दिनेश व्यास, मोहम्मद बरकतुल्लाह, रमेश पंड्या, सुरेन्द्र चूरा, बसंती हर्ष तथा अश्विनी हर्ष ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन हरि शंकर आचार्य ने किया।


Share This News