ताजा खबरे
IMG 20250521 WA0014 राजभाषा पत्रिकाओं के महत्त्व एवं प्रासंगिकता" पर परिचर्चा आयोजित Bikaner Local News Portal साहित्य
Share This News

Thar पोस्ट न्यूज  नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आज राजभाषा मंच के अंतर्गत ‘राजभाषा पत्रिकाओं के महत्त्व और प्रासंगिकता’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता जयप्रकाश कर्दम ने अपने उद्बोधन में कहा कि ने कहा कि राजभाषा पत्रिकाओं से राजभाषा के प्रचार-प्रसार का परिवेश तैयार होता है, किंतु इन पत्रिकाओं की प्रासंगिकता नहीं होती है। इन राजभाषा पत्रिकाओं के संपादकों का यह दायित्व है कि वे इन पत्रिकाओं को प्रासंगिक तो बनाएँ ही, साथ ही हिंदीतर भाषी लोगों से ज्यादा मात्रा में सामग्री लिखवाने की कोशिश करनी चाहिए।

राजभाषा पत्रिकाओं की प्रासंगिकता तब और बढ़ेगी जब ये उपयोगी और रोचक सामग्री से अन्य लोगों को लिखने के लिए प्रेरित करेगी। साहित्य अकादेमी की राजभाषा पत्रिका “आलोक” के पहले संपादक रणजीत साहा ने कहा कि राजभाषा पत्रिका की सामग्री में सृजनात्मकता की कमी हो सकती है। लेकिन हिंदी के विकास के लिए कई व्यवहारिक सूत्र वहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। परिचर्चा में पत्रिकाओं से जुड़े राजेश कुमार एवं वरुण कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी की राजभाषा पत्रिका “आलोक” के नवीन अंक का लोकार्पण भी किया गया।

साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अतिथि का स्वागत किया तथा इस अवसर पर अन्य संस्थाओं से पधारे हिंदी अधिकारियों की अच्छी उपस्थिति पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की परिचर्चा से राजभाषा पत्रिकाओं के स्तर में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन और अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।

शामिल संस्थाओं में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, आकाशवाणी, दूरदर्शन, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, कृषि खाद एवं जलसंसाधन योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, नगर एवं ग्राम संयोजन संगठन, संसदीय कार्य मंत्रालय, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, संगीत नाटक अकादेमी, वैमानिक गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, शिक्षा विभाग, इफको आदि के अधिकारी शामिल हुए।


Share This News