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IMG 20250429 124604 scaled बाल विवाह की रोकथाम की कमान धर्मगुरुओं ने संभाली Bikaner Local News Portal राजस्थान
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Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन राजस्थान महिला कल्याण मण्डल,बीकानेर ने बाल विवाहों की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया। पत्रकारों को जानकारी देते हुए संगठन के निदेशक राकेश कुमार कौशिक ने कहा, धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला, इस अक्षय तृतीया पर जिले में नहीं होगा। एक भी बाल विवाह बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फ ॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के अजमेर जिले में सहयोगी संगठन राजस्थान महिला कल्याण मण्डल की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफ लता मिली है और सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ बढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित,मौलवी या पादरी जैसे पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता, इसलिए हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोडऩे का फैसला किया।

प्रेस वार्ता में पं भवानी शंकर,मौलवी जावेद आलम,अब्दुल रहमान,पिंकी जनागल सहित अनेक जने मौजूद रहे। जिन्होंने बताया कि इसके सक ारात्मक नतीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने पाएगा। जिले के मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगाए जा रहे जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है। गौरतलब है कि जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से “चाइल्ड मैरिज फ ्री इंडिया” कैम्पेन चला रहा है।

जेआरसी कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में जमीन पर काम कर रहे 250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों का नेटवर्क है जिसने पिछले वर्षों में दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं और पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है। इसके सहयोगी संगठन के रूप में राजस्थान महिला कल्याण मण्डल ने स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर अकेले 2023-24 में ही बीकानेरजिले में 350 बाल विवाह रुकवाए हैं।

यह संगठन 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋ भु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन रू टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेजÓ में सुझाई गई समग्र रणनीति पर अमल कर रहा है।

आर.एम.के.एम. के निदेशक कौशिक ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें कि सी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर,साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर,हलवाई,माली,बैंड बाजा वाले,मैरीज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया क्योंकि यह वो सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो विवाह संपन्न कराता है। हमने उन्हें समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है। अठारह वर्ष से काम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है। बेहद खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे तो देश से रातोंरात इस अपराध का सफाया हो सकता है।

इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त बीकानेरके लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। संस्था के द्वारा जस्ट राइट्स फ ॉर चिल्ड्रन के माध्यम से संचालित एक्सेस टू जस्टिस परियोजना के बीकानेर जिला समन्वयक अमित कुमार एवं टीम के समस्त सदस्य जिले में बाल विवाह के खात्मे के लिए प्रयासरत है।


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