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IMG 20201229 WA0134 व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने दी एक अनूठी सौगात Bikaner Local News Portal साहित्य
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Tp न्यूज़। बीकानेर। कोराना काल के बाद अपने पाठकों को हंसने-मुस्कुराने के साथ गहन गंभीर चिंतनपरक व्यंग्यों के माध्यम से व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने एक अनूठी सौगात प्रदान की है।
उक्त उद्गार मुक्ति संस्था के तत्वावधान में ब्रह्म बगीचे में प्रख्यात आलोचक और लोककला मर्मज्ञ डॉ. श्रीलाल मोहता ने बुलाकी शर्मा के राजस्थानी व्यंग्य संग्रह ‘आपां महान’ के लोकार्पण के अवसर पर अध्यक्षीय रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह व्यंग्य संग्रह व्यंग्यकार शर्मा के लेखन का शीर्ष कहा जा सकता है जिसमें उन्होंने राजस्थानी व्यंग्य में विविध शैल्पिक प्रयोगों के द्वारा बहुत कुछ नया करने का उपक्रम किया है। मोहता ने बुलाकी शर्मा की सुदीर्घ व्यंग्य लेखन यात्रा को रेखांकित करते हुए उन्हें बधाई देते हुए कहा कि यह वह समय है जब राजस्थानी व्यंग्य भारतीय भाषाओं में समानांतर चलते हुए उल्लेखनीय होता जा रहा है। राजस्थानी भाषा की अपनी भाषागत विशिष्ठताओं में लोक का महत्त्वपूर्ण अवदान रहा है और इस कृति में यहां की भाषा में जो सहजता सरलता के साथ वक्रता है उसे इस संग्रह में बखूबी प्रयुक्त किया गया है।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने आधुनिक राजस्थानी व्यंग्य लेखन परंपरा में बुलाकी शर्मा के योगदान को रेखांकित बताते हुए कहा कि शर्मा के व्यंग्य लेखन में कथ्य में निहित लोकरस पाठकों को बांधने के साथ मनोरंजन का कार्य करते हुए भी अंतस में घर करती हमारी जड़ता को तोड़ते हुए रूढ़ स्थितियों में बदलाव के बीज बोने वाला है। उनके पास बात बात में बहुत संजीदा ढंग से गहरी से गहरी बात को सामान्य ढंग से कह देने का हुनर है जो सतही तौर पर देखने में सरल प्रतीत होता है किंतु उसे साधना और बनाए रखना बहुत कठिन है।

लोकार्पण के अवसर पर बुलाकी शर्मा ने अपने लोकार्पित संग्रह ‘आपां महान’ से ‘पाप-मुगति’ रचना का पाठ करते हुए अपनी रचना प्रक्रिया के साथ इस व्यंग्य संग्रह की रचनाओं के विषय में प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने समकालीन व्यंग्य धारा में कुछ अभिनव करने का प्रयास किया है और इस प्रयास में वे कितने सफल हुए हैं इसका फैसला पाठक और गुणीजन करेंगे।

मुक्ति के सचिव कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि गंगापुर सिटी के किताबगंज प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘आपां महान’ कृति समकालीन राजस्थानी साहित्य में उल्लेखनीय कही जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बुलाकी शर्मा सर्वाधिक लोकप्रिय व्यंग्यकार हैं और यह खुशी की बात है कि वे निरंतर हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में लिख रहे हैं। किसी भी व्यंग्यकार को अपने समय और समाज को जिस विशिष्ट दृष्टि से देखना चाहिए वह बखूबी दूरदृष्टि से देखते हुए इस संग्रह में आने वाले कल की आहटें भी सुनते हुए आधुनिक होते समाज की त्रासदियां भी इस संग्रह के अनेक व्यंग्यों द्वारा अभिव्यक्त करते हैं।

साहित्य अकादेमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक और विविध विधाओं में सतत रूप से सक्रिय वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी में व्यंग्य लेखन का संकट है और बहुत कम व्यंग्यकार सक्रिय लेखन से जुड़े हुए है ऐसे समय में बुलाकी शर्मा जैसे वरिष्ठ कहानीकार का निरंतर व्यंग्य विधा को साधना सुखकर है। राजस्थानी में वर्तमान में लिखे जा रहे व्यंग्य-साहित्य में बुलाकी शर्मा की यह पुस्तक एक नया मुकाम देने वाली है और इसका समय रहते गहनता से मूल्यांकन भी होना चाहिए। कार्यक्रम में एडवोकेट हीरालाल हर्ष, बृजगोपाल जोशी, मार्कण्डेय पुरोहित, विक्रम रंगा, पवन शर्मा, अनिल जोशी, मनोज मोहता सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में मुक्ति संस्था के अध्यक्ष हीरालाल हर्ष ने आभार प्रकट किया ।


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