ताजा खबरे
IMG 20240707 WA0273 भाषा बचेगी तो संस्कृति बची रहेंगी Bikaner Local News Portal साहित्य
Share This News

Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर के तत्वावधान में समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम का आयोजन रविवार को राजकीय संग्रहालय परिसर स्थित इंस्टीट्यूट सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कवयित्री मोनिका गौड थी।


अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि वैश्विक दौर में मातृभाषा के प्रति अनुराग कम होना चिंताजनक है। जोशी ने कहा कि युवा पीढ़ी में तार्किक रुप से अपनी बात कहने की कोशिश होनी अनिवार्य है, उन्होंने कहा कि राजस्थानी युवा कवि सामाजिक विदू्रपताओं के विरूद्ध अपनी कलम चला रहे है। आज प्रस्तुत की गई युवा कवियों पर बोलते हुए जोशी ने कहा कि राजस्थानी कवियों की रचनाओं से भावों की अभिव्यक्ति जिनमें उनकी रचनाओं की राजस्थानी पहचान प्रकट हुई है।


मुख्य अतिथि मोनिका गौड ने कहा कि अच्छा लिखने के लिए पढ़ना बेहद जरूरी है, उन्होंने कहा कि ये नवाचार युवाओं को अपनी भाषा मे बोलने का मौका देने के साथ स्वयं की कूंत करने का भी अवसर देगा… साहित्य की कसौटी पर नए विचार भाव रूपको से सजी अपनी कविता की परख करने का मौका मिलेगा. जिसका लाभ मान्यता आंदोलन को भी मिलेगा।


रविवार को आयोजित कार्यक्रम में राजस्थानी के तीन युवा कवियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से कार्यक्रम को उमंग और जोश से भर दिया आज के युवा कवियों में पूनम चंद गोदारा, ज्योति स्वामी एवं आरती छंगाणी ने अपनी प्रस्तुति दी। युवा कवि पूनमचंद गोदारा ने राजस्थानी गजल और अनेक कविताएं सुनाकर वाह वाही लूटी, उन्होंने गजल आ भेळा बैठां बोळ करां, नफरत रा बिंटा गोळ करां
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
एकां जाजम रमझोळ करां एवं कीड़ीनगरो, हे नीलकंठ, मजूर नेता, चीकणो घड़ो, धर्म, सपना अर भूख, मांचो, एवं ठाह ई नीं आदि कविताएं सुनाई।


युवा कवयित्री ज्योति स्वामी ने लोकधर्मी कविताएं सीधी-सरल भाषा में पढ़ते हुए “ई शरीर माथे प्रेम री कीं तो सेनाणी हुवे।परिजात सु फुटरी काया पर किन तो प्रेम री सेनाणी रेवे”। एवं प्रेम रचनाओं में “प्रेम बिरखा तो ज्याँ होवे हार सिंगार, जिकी शरीर रा सगला रोग मिटावती जावे”।

स्वामी ने थेला शीर्षक से “थैलो है एक में घणा रूपा रो ओ थैलो। सपना अर आश सु भरियोडो ओ थैलो”। उन्होंने शहर की संस्कृति पर “इशो है म्हारो भोलो सो बीकाणो, हर ओलू ने राखे सांभ र”। सुनाकर दाद बटोरी


युवा कवियत्री आरती छंगाणी ने रिश्तो एवं मुस्कराहट पर कविताएं प्रस्तुत करते हुए “रिश्ता जग में रिस रिहया, अबे देवा किन्ने दोष,,,समझ ना आवे सा जकाँ म्हारे खातर हमेस तैयार मिले जकाँ रे चेहरे माथे हंसी रा फूल खिले” ओजपूर्ण तरीके से प्रस्तुतीकरण करते हुए कार्यक्रम का आगाज किया।


तीनों कवियों की प्रस्तुत की गई कविताओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए डाॅ. गौरी शंकर प्रजापत ने कहा कि एकदम नुंवा और युवा कवियों की कविताएं समकालीन कविता कि विकासशील धारा को आगे ले जाने वाली है। शिल्प शैली और भाषा का प्रवाह प्रभावशाली है । करूणा और संवेदना के साथ भारतीय संस्कृति कि चिंता अगर आज के कवियों को सता रही है तो संस्कृति और संस्कारो के लिए सुभ संकेत है। कविता के भविष्य का शुभ संकेत है।


प्रारंभ में कार्यक्रम प्रभारी साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि आने वाले दौर में संस्थान द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे, स्वर्णकार ने युवाओं को राजस्थानी भाषा से जोड़ना एवं निरंतर बनाए रखना आवश्यक बताया।


कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए व्यंग्यकार संपादक डॉ अजय जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि नव किरण सृजन मंच युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में सदैव अग्रणी भूमिका निभाएगा।


अतिथियों ने तीनों युवा कवियों का सम्मान करते हुए स्मृति चिह्न एवं नगद राशि देकर सम्मान किया तथा तीनों कवियों को नव किरण प्रकाशन की ओर से पुस्तके भी भेंट की गई, तथा बागेश्वरी कला साहित्य संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए कार्यक्रम के अंत में शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सभी का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए युवा कवि शशांक शेखर जोशी ने तीनों युवा कवियों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से जानकारी दी।


कार्यक्रम में प्रोफेसर नरसिंह बिन्नाणी, सरोज भाटी, डॉ. मोहम्मद फारुख चौहान,कमल रंगा, प्रोफेसर मोतीलाल, श्याम सुंदर उपाध्याय, बाबू बमचकरी, विप्लव व्यास, इसरार हसन कादरी, मोहम्मद सलीम बेबाक, पार्षद सुधा आचार्य, पुनीत रंगा, जुगल किशोर पुरोहित, विमल कुमार शर्मा, राजेश छंगाणी सहित अनेक महानुभाव उपस्थित हुए।


Share This News