Thar पोस्ट। बीकानेर में इस इकलौते सिनेमाघर ने दर्शकों को एक नए अंदाज में फ़िल्म देखने का अवसर दिया। बीकानेर के अन्य सिनेमाघरों से इतर सूरज में फ़िल्म देखना भी एक अलग अनुभव रहा। भले ही वर्तमान में वहां एक अलग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा हो, लेकिन जब भी सिने दर्शक इस राह से निकलेंगे तो अपने कॉलेज के दिनों को याद करेंगे। वर्तमान में तो इस मार्ग का नाम ही सूरज टॉकीज रोड ही पड़ गया है। दरअसल, सूरज टॉकीज का निर्माण बीकानेर के सिपानी परिवार के हनुमानमल जी सिपानी द्वारा करवाया गया। बाद में इसे प.लक्ष्मीनारायण पारीक ने लिया। इसका उद्देश्य बीकानेर के लोगों को बेहतर मनोरंजन करवाना रहा। सूरज टॉकीज में कयामत से कयामत तक के अलावा मैंने प्यार किया, दिल, शहंशाह, हम, दरियादिल, खून भरी मांग, खुदगर्ज, स्वर्ग, बाजीगर, दिल तो पागल है, हम आपके है कौन, टाइटैनिक से लेकर बाहुबली, ग़दर2 सहित अनेक हिट फिल्में लगी। जिनकी यादें आज भी सिने प्रेमियों के जेहन में है।
लेकिन अब…
वर्तमान में मनोरंजन के संसाधनों में बदलाव आया है। चंद फिल्मों को छोड़ दे तो अधिकांश फिल्में दर्शकों को सिनेमाघरों में खींचने में विफल साबित हुई है। सिने प्रेमी भी अब महानगरों की तरह तेज साउंड के साथ छोटे हाल में फ़िल्म देखने लगे है। मोबाइल पर भी फ़िल्म देखने का चलन है। अनेक कंपनियां ये बेहतर सुविधा मुहैया करवा रही है। बीकानेर में भी पुराने सिनेमाघर बंद हो गए।