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IMG 20230527 154542 117 आज से योगनिद्रा में रहेंगे नारायण, विवाह सहित सभी शुभ कार्य वर्जित, इस बार सावन दो Bikaner Local News Portal धर्म
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Thar पोस्ट। आज से चार नहीं बल्कि पांच माह तक सभी शुभ कार्य वर्जित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज से नारायण क्षीर सागर में शयन के लिए जाएंगे। इसके चलते विवाह सहित सभी शुभ कार्य वर्जित बताए गए हैं।

सावन दो : इस साल सावन महीने में अधिक मास लग रहा है, जिससे सावन दो माह का हो जाएगा। इस तरह से भगवान विष्णु 4 माह की जगह 5 माह तक योग निद्रा में रहेंगे। चातुर्मास आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की देवोत्‍थान एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक रहता है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरिशयनी एकादशी व्रत करने का विधान है। इसे ‘देवशयनी’, ‘योगनिद्रा’ या ‘पद्मनाभा’ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आज दिन से भगवान श्री विष्णु विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते है और पूरे चार महीनों तक वहीं पर रहेंगे । भगवान श्री हरि के शयनकाल के इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं। चातुर्मास के आरंभ होने के साथ ही अगले चार महीनों तक शादी-ब्याह आदि सभी शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है। 

देवशयनी के दिन दिन लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसीन किया जाता है और उनके दाएं हाथ की तरफ जल से भरा लोटा रखा जाता है। साथ ही भगवान की प्रतिमा के पास एक शंख और उनके सामने घी का दीपक रखा जाता है। अब सबसे पहले लोटे में भरे जल से उस स्थान को पवित्र कर लें। फिर घी का दीपक जलाएं। उसके बाद रोली, पान, सुपारी आदि से भगवान का पूजन करें। फिर भगवान को पुष्प अर्पित करें और साथ ही फल व मीठाई आदि से भगवान को भोग लगाएं। इस प्रकार पूजा के बाद भगवान की आरती करें और उनसे अपने जीवन की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। इस बार चातुर्मास 4 की जगह 5 महीने का रहेगा।


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