Thar पोस्ट, न्यूज। नई संसद के निर्माण में राजस्थान के विश्व विख्यात पत्थरो का बखूबी से इस्तेमाल किया गया है। जैसलमेर, धौलपुर के पत्थरों को काम मे लिया गया है। इस भवन के आंतरिक और बाहरी निर्माण के लिए देश भर से निर्माण सामग्री लाई गई है, जिसमें धौलपुर के सरमथुरा से बलुआ पत्थर और राजस्थान के जैसलमेर के लाखा गांव से ग्रेनाइट शामिल है। जानकारी में रहे कि वर्तमान में राजस्थान के अनेक टूरिस्ट्स डेस्टिनेशन जिलों में बनी हेरिटेज होटलों, गेस्ट हाउस व हवेलियों में धौलपुर के बलुआ , लाल, गुलाबी पत्थरो का इस्तेमाल किया जा रहा है। जोधपुर, उदयपुर बीकानेर में भी इसी पत्थर को हाल ही में बनी होटलों आदि में काम मे लिया गया है। बीकानेर में हालांकि दुलमेरा बीकानेर के लाल पत्थरों का इस्तेमाल अधिक होता आया है लेकिन अनेक कारणों के चलते दुलमेराबीकानेर के साथ ही धौलपुर के पत्थर ही अधिक काम मे लिए जा रहे है। कुछ होटलों में जोधपुरी पत्थर भी लगा है। जैसलमेरी पत्थरों का जैसलमेर में अधिक इस्तेमाल होता है। सोने की तरह दिखने वाले पत्थरों व इस पर नक्काशी का दुनियाभर में कोई मुकाबला नही है। लेकिन यह भी देखा गया है यह पीला पत्थर अन्य जिलों में सफल नही है और जल्दी प्रदूषण की भेंट चढ़ जाता है। इसके बाद भी जैसलमेरी पत्थर का निर्यात होता है। नई संसद की साज-सज्जा में प्रयुक्त लकड़ी नागपुर की है और मुंबई के शिल्पकारों ने लकड़ी पर डिजाइन तैयार किए हैं। उत्तर प्रदेश के भदोही बुनकरों ने इमारत के लिए हाथ से बुने पारंपरिक कालीन बनाए हैं।