Thar पोस्ट, विशेष। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जिंदगी में एक बेहद खास शख्स था। एक डोर थी जिससे दोनों बंधे थे। दोनों की दोस्ती और रिश्ते के खूब चर्चे थे। यह शख्स थे क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर जो कि राजस्थान (तब राजपुताना) स्थित डूंगरपुर के महाराजा थे। राज सिंह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष भी रहे। सचिन तेंदुलकर उन्ही की खोज थी। राजसिंह डूंगरपुर, बीकानेर की राजमाता सुशीला कुमारी के लाडले भाई थे।
राज सिंह और लताजी की पहली मुलाकात सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर को म्यूजिक के अलावा क्रिकेट खेलना बेहद पसंद था। वह अकसर भाई हृदयनाथ मंगेशकर के साथ क्रिकेट खेला करतीं। लता भाई के साथ वाकेश्वर हाउस में क्रिकेट खेला करतीं और वहीं उनकी मुलाकात राज सिंह से हुई थी। 2009 में ‘मिड डे’ में छपे इंटरव्यू में राज सिंह ने बताया था कि जब 1959 में वह बॉम्बे आए तो उन्होंने क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई के कजन सोपन से कहा कि वह क्रिकेट खेले बिना नहीं रह पाएंगे। तो सोपन ने बताया कि यहां क्रिकेट खेलने की एकमात्र जगह वाकेश्वर हाउस है। पर वहां लता मंगेशकर और उनके भाई खेलते हैं।इस पर राज सिंह ने उनसे कहा था कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि वहां कौन खेलता है और कौन नहीं। बस उन्हें वहां जाना है। राज सिंह ने बताया था कि उन दिनों लता मंगेशकर पूरे दिन रिकॉर्डिंग ही करती रहती थीं और वह भी उनको उतना ही नहीं देखते थे। वह बस क्रिकेट खेलते और लौट जाते।
चाय पीने के दौरान ही बंध गए एक डोर में !
लता मंगेशकर ने राज सिंह को लेकर परिवार में चर्चा की। तभी तो उन्होंने राज सिंह को चाय पर बुलाने की पेशकश की। इसी इंटरव्यू में राज सिंह ने बताया था कि वह लता मंगेशकर के घर गए और उन्हें देखते ही रह गए। वह बहुत चार्मिंग थीं। जब राज सिंह वापस जा रहे थे तो लता मंगेशकर उन्हें छोड़ने बाहर तक आईं और अपनी कार भी दी। इस तरह राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर धीरे-धीरे एक-दूसरे को जानने लगे। राज सिंह कुछेक बार लता मंगेशकर की रिकॉर्डिंग पर भी गए थे। क्रिकेट के प्रति प्रेम ही लता मंगेशकर और राज सिंह को करीब ले आया था। दोनों एक-दूसरे को काफी पसंद करने लगे थे। बताया जाता है कि राज सिंह की लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ के साथ अच्छी दोस्ती थी। इसी दोस्ती के नाते राज सिंह और लता मंगेशकर की ज्यादातर मुलाकातें भाई के घर पर होने लगीं। यहीं पर दोनों को एक-दूसरे को जानने का मौका मिला।
राजसा आजीवन रहे कुंवारे–पिता को दिया वचन
राज सिंह राजसा डूंगरपुर ने कभी शादी नहीं की, लेकिन लता मंगेशकर संग उनकी दोस्ती और रिश्ता हमेशा चर्चाओं में रहा। उनके रिश्ते को लेकर मीडिया में तमाम तरह की बातें आती रहीं। यह तक कहा गया कि लता मंगेशकर और राज सिंह शादी भी करने वाले थे, पर कुछ वजहों के चलते हो नहीं पाई। ऐसा कहा जाता है कि राज सिंह अपने पिता से बेहद प्यार करते थे और उन्होंने उनके प्यार और सम्मान की खातिर वादा किया था कि वह शादी के जरिए एक आम इंसान को परिवार में नहीं लाएंगे यह बड़ी वजह बनी। हालांकि लता आम नहीं बल्कि भारत की एक बड़ी धरोहर थी। इसी कारण उन्होंने लता मंगेशकर से शादी नहीं की। भले ही दोनों ने शादी नहीं की, पर हमेशा अच्छे दोस्त बनकर रहे और वक्त पड़ने पर एक-दूसरे की मदद के लिए खड़े रहे। यहाँ तक कि राज सिंह के निधन के बाद लताजी ने फिल्मों में प्रेम गीत गाने बहुत कम कर दिए। राज सिंह आजीवन कुंवारे रहे, वहीं लता मंगेशकर ने भी फिर कभी शादी नहीं की। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी परिवार और संगीत के नाम कर दी। राज सिंह डूंगरपुर का 12 सितंबर 2009 को निधन हो गया। वह अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित थे। बेशक लता मंगेशकर और राज सिंह साथ नहीं रह पाए, लेकिन उनके जैसा रिश्ता बमुश्किल ही देखने को मिलता है। जानकारी में रहे कि बीकानेर राजमाता सुशीला कुमारी के भाई राजसिंह डूंगरपुर को बीकानेर के शाही परिवार के सदस्य मीठू मामा कहकर पुकारते थे। जबकि राजसा ने लता जी को यह प्यारा सा उपनाम दिया था –मीठू ।