Thar पोस्ट, नई दिल्ली। कोरोना से आमजन को बचाने में जुटे चिकित्सकों की भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। देश की नामी चिकित्सक भी इसकी चपेट में आये। महामारी की दोनों लहरों में बिहार में करीब सौ चिकित्सकों की जान चली गई थी जो देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है. ऐसी कौन सी परिस्थितियां थीं जिनकी वजह से उन्हें बचाया नहीं जा सका था ?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार कोरोना की दोनों लहरों में देशभर में 280 डॉक्टरों की मौत हुई. जान गंवाने वालों में अधिकतर 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के थे। इसकी प्रमुख वजह यह रही कि ये चिकित्सक कई कई दिनों तक संक्रमितों के बीच रहे। जबकि इलाज कर रहे चिकित्सकों के लिए बीच बीच में अवकाश या आराम जरुरी है, लेकिन भारत मे ऐसा नही हुआ। कम संसाधन भी कारण बने। जानकारी के मुताबिक इनमें सबसे ज्यादा मौतें बिहार में हुईं जहां पहली लहर में 39 तथा दूसरी लहर के दौरान करीब 90 चिकित्सकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। उत्तर प्रदेश और फिर दिल्ली में चिकित्सकों की मौत हुई. आईएमए के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर डॉक्टरों पर ज्यादा भारी पड़ी. पहली लहर में कम मौतें हुईं, किंतु दूसरी लहर में संख्या तेजी से बढ़ गई. अधिकतर मौतें एक मार्च से 19 मई के बीच हुईं. इसका कारण जानने के लिए आइएमए की बिहार शाखा ने एक टीम बनाई। विश्व के कई देशों में कोरोना फिर से पांव पसार रहा है।