Tp न्यूज़। वो ‘विविध भारती’ जो कईं उद्घोषको का प्रेरणा स्रोत है, अनगिनत श्रोताओं के दिल में जो आज भी रचा बसा है। उसी विविध भारती को लगता है आज किसी की नज़र लग गयी! प्रस्तुति देने वाले कलाकारों/उद्घोषकों की उद्घोषणाओं में कईं बार उच्चारण-दोष नज़र आता है।
आज दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक विविध भारती पर प्रसारित कार्यक्रम में एक महिला उद्घोषक ने गानों की उद्घोषणा में एकल गायक कलाकार होने के बावजूद अनेक गानों की उद्घोषणा इस प्रकार की – ” आवाज़े लतामंगेश्कर की”, “आवाज़े एस.डी.बर्मन की”, ” आवाज़ें हेमंत कुमार की”, “आवाज़े मुकेश की”….।
प्रश्न यह है कि इतने प्रतिष्ठित चैनल में इस विषय पर कोई ध्यान देता है या नहीं? क्या देश के अन्य अधिकतर आकाशवाणी केन्द्रों के अधिकारियों की तरह विविध भारती के अधिकारी भी अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाने से कतराते हैं? क्या अब आकाशवाणी में अनुभवी और समर्पित अधिकारियों की कमी हो रही है? क्या इसका कारण यह समझा जाए कि निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया जा रहा है? कारण कुछ भी हो लेकिन एक श्रोता होने के नाते ‘विविध भारती’ जैसे चैनल का यह हाल मेरे दिल को दु:ख देता है।
माँ सरस्वती से प्रार्थना है कि रेडियो का इस तरह बेहाल न हो। किसी के दिल को चोट पहुँची है तो खेद के साथ क्षमा। जैसा की पाठकों और श्रोताओं ने फ़ोन कर बताया।