



Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। आखिर आंशिक और पूर्ण नहरबंदी में क्या अंतर होता है? आने वाले दिनों में राजस्थान के अनेक जिलों के लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। पहले चरण में 26 मार्च से आंशिक नहर बंदी है। इसका अर्थ है नहर में पानी की आपूर्ति को पूरी तरह से बंद करने के बजाय, सिर्फ कुछ समय के लिए, या कुछ मात्रा में, पानी छोड़ा जाता है, ताकि पेयजल की आपूर्ति जारी रहे और सिंचाई के लिए पानी की कमी न हो। इसे ऐसे समझिए



- नहरबंदी के दो चरण:आंशिक नहरबंदी के बाद, नहर में पानी की आपूर्ति को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है, जिसे पूर्ण नहरबंदी कहते हैं.
- पेयजल के लिए पानी: आंशिक नहरबंदी के दौरान, सिंचाई के लिए पानी बंद कर दिया जाता है, लेकिन पेयजल के लिए पानी छोड़ा जाता है।
- पानी की मात्रा:आंशिक नहरबंदी के दौरान, नहर में 2000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, जो पेयजल की आपूर्ति के लिए पर्याप्त होता है.
- नहरबंदी का कारण: नहरबंदी का मुख्य कारण नहरों की मरम्मत, रखरखाव और लाइनिंग का काम करना होता है.
- प्रभावित क्षेत्र :इंदिरा गांधी नहर परियोजना से जुड़े 15 जिले इस नहरबंदी से प्रभावित होते हैं, जिनमें बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर आदि शामिल हैं।
- तैयारी:जल संसाधन विभाग और जलदाय विभाग नहरबंदी से निपटने के लिए जल भंडारण की तैयारी करते हैं.
- आंशिक नहरबंदी का समय:आंशिक नहरबंदी 26 मार्च से 26 अप्रैल तक रहती है, जबकि पूर्ण नहरबंदी 27 अप्रैल से 27 मई तक रहती है.
इस बार इंदिरा गांधी नहर परियोजना की नहरबंदी 26 मार्च से शुरू होने जा रही है. यह नहरबंदी 27 मई तक जारी रहेगी, जिससे नहरी किसानों को इस बार सिंचाई का पानी नहीं मिलेगा. पहले 30 दिनों तक केवल पेयजल के लिए 2 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा, जबकि 27 अप्रैल से 27 मई तक नहर में पूरी तरह से पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी.
इन जिलों में असर अधिक
इंदिरा गांधी नहर परियोजना से 15 जिलों जिनमे जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में पेयजल और सिंचाई की आपूर्ति होती है. नहरबंदी के चलते इन जिलों में जल संकट गहराने की संभावना है. जल संसाधन विभाग और जलदाय विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए जल भंडारण की तैयारियां शुरू कर दी हैं. आंशिक क्लोजर के दौरान भी 2 हजार क्यूसेक पानी फीडर से लिया जाएगा, जिससे पेयजल की कमी को कुछ हद तक कम किया जा सके।
पंजाब में 60 दिन तक रहेगा क्लोजर
इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रिजाइनिंग कार्य के लिए यह नहरबंदी की जा रही है. पंजाब में पूरे 60 दिन का क्लोजर रहेगा, जिसमें नहर की मरम्मत और सफाई का कार्य किया जाएगा. हर साल अप्रैल में नहरबंदी कर इस कार्य को पूरा किया जाता है. इस बार भी पंजाब सरकार की अनुमति के बाद ही नहरबंदी लागू की जाएगी।
ये है योजना : 2018 में हुआ 3,291 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर
नहर की रिजाइनिंग और अन्य कार्यों के लिए 2018 में न्यू डवलपमेंट बैंक से 3,291 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था. इसी के तहत इंदिरा गांधी मुख्य नहर और इसकी वितरिकाओं की रिजाइनिंग की जानी थी. 2018 में ही जल संसाधन विभाग ने लोहगढ़ हैड (496 RD) से इस कार्य की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद हर साल अप्रैल में नहरबंदी कर मरम्मत और सफाई का काम किया जाता है।