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IMG 20230226 WA0120 फूलों की होली खेली ** मुशायरे का आयोजन Bikaner Local News Portal धर्म
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Thar पोस्ट, न्यूज। पुष्करणा सखी व पुष्करणा महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में जस्सूसर गेट स्थित हरि हेरिटेज में फाग उत्सव का आयोजन किया। कार्यक्रम कॉर्डिनेटर राजकुमारी व्यास ने बताया कि प पुष्करणा समाज की महिलाओं ने बड़े ही धूमधाम से फाग उत्सव मनाया जिसमे समाज की महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।  सभी महिलाएं पारम्परिक फगनिया परिधान में उपस्थित हुई। मण्डल अध्यक्ष शारदा पुरोहित अनुसार  सर्वप्रथम लड्डू गोपाल का अबीर गुलाल व पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया, मण्डल संरक्षक व पुष्करणा सखी एडमिन अर्चना थानवी  द्वारा दीपप्रज्वलन कर कार्यक्रम का आगाज़ किया गया।कृष्ण राधिका की जीवंत झांकिया सजाई गई तथा उनके साथ होली उत्सव मनाया गया उसके बाद लड्डू गोपाल को पुष्पों की वर्षा कर सखियों ने उत्सव मनाया साथ ही एक दूसरे पर अबीर गुलाल व पुष्प वर्षा कर उल्लास मनाया।कार्यक्रम में डॉ विजयलक्ष्मी व्यास, डॉ बसंती हर्ष, जमना व्यास मण्डल सचिव सेनुका हर्ष व पूजा जोशी ने होली के भजनों की प्रस्तुतियां पेश की। रंगारंग नृत्य प्रस्तुतियां महिलाओं द्वारा दी गयी।पूरा माहौल होली मय हो गया।कार्यक्रम में मंच संचालन जयश्री आचार्य द्वारा किया गया।कार्यक्रम में साज सज्जा वीना व्यास , शोभा व्यास व नीलम जोशी के सहयोग से किया गया। 

मासिक तरही मुशायरा
पर्यटन लेखक संघ-महफिले- अदब के सप्ताहिक अदबी कार्यक्रम की 569 वीं कड़ी के अंतर्गत रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में मासिक तरही मुशायरा-8 का आयोजन किया गया जिसमें नगर के शाइरों ने रौनक़ नागौरी के मिसरे “हैं आदमी तो रहें आप आदमी की तरह” पर कलाम पेश कर दाद लूटी।अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने ताज़ा ग़ज़ल पेश कर वाह वाही हासिल की-वो ज़िन्दगी नहीं कर पाए ज़िन्दगी की तरह
उन्हें तो मौत भी आई तो ख़ुदकुशी की तरह
मुख्य अतिथि इमदादुल्लाह बासित ने दोस्तों के बदलते रुख़ की तरफ इशारा किया-
जो था अज़ीज़ हमें अपनी ज़िंदगी की तरह
वो आज पास से गुज़रा है अजनबी की तरह
आयोजक डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने घमंडी लोगों को निशाने पर लिया-
जिसे भी देखो ख़ुदा बनने की धुन है उसको
मगर वो क्यूँ नहीं बनता है आदमी की तरह
असद अली असद ने मतलबी दोस्तों को आइना दिखाया-
निभाया उनसे हर इक रिश्ता दोस्ती की तरह
वो दोस्ती भी निभाते हैं दुश्मनी की तरह
राजेन्द्र स्वर्णकार ने श्रृंगार रस की ग़ज़ल सुना कर सराहना प्राप्त की-
महक बिखेरती है बेले की वो जिधर जाएं
उजास करती है हर सू वो चांदनी की तरह
इस अवसर पर अब्दुल जब्बार जज़्बी,क़ासिम बीकानेरी और मुइनुद्दीन मुईन द्वारा भेजी ग़ज़लें भी पढ़ी गईं।
शारदा भारद्वाज,डॉ कृष्णलाल बिश्नोई,राजकुमार ग्रोवर,अहमद हारून क़ादरी और अब्दुल शकूर सिसोदिया ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।संचालन डॉ जिया उल हसन कादरी ने किया।

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