


Thar पोस्ट। जोधपुर में बीती रात महिलाओं का राज रहा। जोधपुर शहर में ऐतिहासिक धींगा गवर मेले में महिलाएं युवतियां उमड़ पड़ी। शहर के भीतरी इलाके में मनाए गए इस मेले में बड़ी संख्या में अलग-अलग स्वांग रच कर पहुंची महिलाओं ने खूब धमाल किया, कोई ईसर-गवर बनकर पहुंची तो किसी ने शक्ति का रूप धारण किया। यहां सैंकड़ों वर्षों से परम्परा चली आ रही है।



चाचा की गली, हाथी चौक में रेलमपेल
जोधपुरबके भीतरी गलियों में देर रात के बाद पूरी तरह महिलाओं का राज रहा। हाथों में बेंत लिए निकली महिलाओं ने जगह-जगह गवर माता की स्थापना कर विधिवत पूजा की। चाचा की गली, हाथी चौक, ब्रह्मपुरी, सोनारों की गली, नव चौकिया, आड़ा बाजार, कुमारियों का कुआं, हटड़ियों का चौक, पुंगल पाड़ा सहित विभिन्न स्थानों पर भक्ति गीतों की धुनों पर गवर माता को लाखों के स्वर्ण आभूषणों से सजाकर विराजित किया गया।
बेंत मारने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह साधारण बेंत नहीं होता बल्कि 16 दिनों तक इसकी पूजा की जाती है। इस बेंत को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता यह भी है कि जिस युवक की शादी नहीं हो रही, उसे यदि यह बेंत लग जाए तो उसका विवाह शीघ्र ही हो जाता है।
सुरक्षा को लेकर पुख्ता बंदोबस्त
जोधपुर पुलिस और स्थानीय लोगों की पहले ही बैठक हो चुकी थी, जिसमें यह तय किया गया कि बाहरी लोगों की एंट्री पर प्रतिबंध रहेगा और सार्वजनिक स्थानों पर स्टेज नहीं लगाए जाएंगे। पुलिस हर गली-चौक पर मुस्तैद रही और स्थानीय युवाओं ने भी सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग किया।
यह है परंपरा
राव जोधा राजपरिवार द्वारा शुरू की गई थी और तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है। धींगा गवर को माता पार्वती के सती होने के बाद उनके दूसरे रूप के रूप में पूजा जाता है। इसलिए भीतरी शहर की महिलाएं समूह बनाकर इस विशेष अवसर पर गवर की पूजा करती हैं। इस दौरान महिलाओं के हाथों में रहने वाला बेंत श्रद्धा, शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।




