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IMG 20241023 101608 58 अधूरे प्रेम की गाथा कहती है नक्की झील! देवताओं ने खोदा ? Bikaner Local News Portal पर्यटन
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nakaka jhal bb6572a484c71df50f6f3094fde93d9d2594705252840877766 अधूरे प्रेम की गाथा कहती है नक्की झील! देवताओं ने खोदा ? Bikaner Local News Portal पर्यटन

Thar पोस्ट। राजस्थान के शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है माउंट आबू। सिरोही जिले में स्थित हिल स्टेशन माउंटआबू को राजस्थान का कश्मीर भी कहा जाता है। गुजरात सीमा भी लगती है। समुद्र तल से करीब 1200 मीटर ऊंचाई पर स्थित नक्की लेक माउंटआबू आने वाले देशी एवं विदेशी पर्यटकों के खासा आकर्षण का केंद्र बनी है। नक्की लेक ढाई किलोमीटर की परिधि में फैली है।

नक्की लेक को लेकर यहां प्रसिद्ध किवदंती के मुताबिक यहां के राजा ने अपनी बेटी के विवाह के लिए शर्त रखी थी कि जो भी व्यक्ति एक रात में बिना किसी औजार के झील खोद देगा, उसी से राजकुमारी का विवाह करवाया जाएगा। जिस पर रसिया बालम नाम के शिल्पकार ने इस शर्त को पूरा कर अपने नाखूनों से एक रात में नक्की लेक को खोद दी। लेकिन, राजा की मां ने रात में ही मुर्गे की आवाज निकाल दी। जिससे रसिया बालम को लगा, वह शर्त हार गया है।

इस अधूरी प्रेम कहानी के बाद माउंट आबू की इस झील का नाम नख की नक्की लेक पड़ा। बाद में समय के साथ इसका नाम नक्की लेक हो गया। यहां देलवाड़ा जैन मंदिर के पीछे कुंवारी कन्या व रसिया बालम का मंदिर बना हुआ है। लेटिटिया एलिजाबेथ लैंडन ने 1839 में आबू के माउंटेन-लेक पर एच. मेलविले हिंदू टेम्पल्स द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग का काव्यात्मक चित्रण किया गया।

नक्की लेक का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनाें से खोद कर किया था। इसीलिए इसका नाम नक्की लेक पड़ा था। शुरू में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया। आसपास काफी खाने-पीने व खरीदारी के लिए दुकानें हैं। यहां पारम्परिक वेशभूषा में फोटो खींचवाने के लिए भी कई दुकाने हैं। गांधी वाटिका से प्रवेश करने के बाद अंदर बोट हाउस बना हुआ है, जहां बोटिंग के लिए शिकारा बोट व पैडल बोट का पर्यटक आनंद ले सकते हैं। नक्की लेक में एक फव्वारा लगा हुआ, जिससे निकलने वाले पानी की धार करीब 70-80 फीट ऊंचाई तक जाती है। नक्की झील में राजस्थान के अलावा देश-विदेश से पर्यटक यहां के नजारों का लुत्फ उठाने आते है।


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