Thar पोस्ट, बीकानेर। भारत के बेमिसाल किलों में शुमार जूनागढ़ का किला बीकानेर में अपनी राजसी शान शौकत के साथ देश-विदेश में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके भव्य महल और पत्थरों पर किया गया बारीक कलात्मक कार्य देखते ही बनता है। इसे चिंतामणी दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। एक नज़र देखने पर यह लाल गुलाबी पत्थरों से ही बना नज़र आता है। लेकिन यह एक रोचक तथ्य है कि जूनागढ़ का निर्माण जब शुरू हुआ था तब जैसलमेर के स्वर्ण आभा लिए पीले पत्थरों का ही इस्तेमाल हुआ था। इस बारे में गहराई से लिखने वाले दिवंगत लेखक चंद्र सिंह भाटी लेवेरा से भी मैंने कई बार वार्ताएं की थी। उन्हें बीकानेर के इतिहास के बारे में गहरी जानकारी थी। पत्थरों पर नक्काशी कार्य पर भी उनकी विशेष पकड़ थी। उन्होंने एक बार बातचीत के दौरान बताया था कि जूनागढ़ का निर्माण बीकानेर महाराजा राय सिंह द्वारा करवाया गया था। उनकी रानी जैसलमेर से थी। उनकी सलाह पर ही महाराजा राय सिंह ने जैसलमेर से बहुतायत में पीले पत्थर, जाली झरोखे, गोखे, गुमटियां, कारीगर विशेषज्ञ आदि मंगवाकर/ बुलवाकर जूनागढ़ का निर्माण करवाया था। इस तरह मूल जूनागढ़ का निर्माण पीले पत्थरों से हुआ। बाद में अनेक राजा-महाराजाओं द्वारा लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। इस वजह से जूनागढ़ किला लाल ही दिखाई देता है। लेकिन किले में भ्रमण करने पर पता चलता है कि इसमें पीले पत्थरों का अधिक इस्तेमाल हुआ था।
इसकी अगली कड़ी में… आखिर जैसलमेर का पीला पत्थर- बीकानेर में क्यों खो देता है अपना नूर ? …