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IMG 20210219 WA0147 संवैधानिक मान्यता से राजस्थानी साहित्य, भाषा मजबूत होगी Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट
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साहित्य अकादमी का वेबिनार
Tp न्यूज़, बीकानेर। साहित्य अकादमी, नई दिली ने अपनी वेबलाइन सीरीज में आज ‘ राजस्थानी साहित्य वर्तमान और भविष्य ‘ पर सिम्पोजियम आयोजित किया। जिसकी अध्यक्षता डॉ श्रीलाल मोहता ने की।
अकादमी सचिव के श्री श्रीनिवास राव ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि राजस्थानी साहित्य की समृद्ध परंपरा रही है, उसने उत्तर आधुनिकता तक का सफर किया है। अकादमी में राजस्थानी भाषा के प्रभारी ज्योतिकृष्ण वर्मा ने बताया कि अकादमी कोरोनो काल में वेबलाइन के जरिये सभी 24 भाषाओं में साहित्य के आयोजन कर असंख्य लोगों को साहित्य से जोड़ा है।
विषय प्रवर्तन करते हुए राजस्थानी भाषा के संयोजक मधु आचार्य ‘ आशावादी’ ने कहा कि हमारे साहित्य ने गांव, गली, किसान की सीमा को तोड़ व्यक्ति और संवेदना तक पहुंची है। राजस्थानी साहित्य किसी दूसरी भाषा से कमजोर नहीं, आगे है। इस आयोजन में दिनेश पांचाल- डूंगरपुर, कुंदन माली – उदयपुर, जितेंद्र निर्मोही – कोटा, किरण राजपुरोहित – जोधपुर, नमामी शंकर आचार्य और ऋतु शर्मा ने भाग लिया।
कहानी विधा पर बोलते हुए दिनेश पांचाल ने कहा कि इसने बहुत विकास किया है। नये विषय और शिल्प के कारण राजस्थानी कहानी सर्वश्रेष्ठ है। कथेतर साहित्य पर बोलते हुए जितेंद्र निर्मोही ने कहा कि ये साहित्य ही राजस्थानी की विशालता को दिखाता है। डायरी, संस्मरण, व्यंग्य आदि से स्पष्ट है कि हमारा साहित्य आधुनिक है। किरण राजपुरोहित ने राजस्थानी महिला लेखन पर बोलते हुए कहा कि आदिकाल से महिला लेखन की परंपरा रही है। कविता, उपन्यास, कहानी के क्षेत्र में महिला लेखन अभी किसी दूसरी भाषा से कमजोर नहीं। कविता विषय पर बोलते हुए कुंदन माली ने कहा कि एक गौरवमयी परंपरा से आधुनिकता की यात्रा राजस्थानी कविता ने की है। अन्य भाषाओं में हुए परिवर्तन से राजस्थानी कविता सदैव दो कदम आगे रही है।
उपन्यास विधा पर बोलते हुए नमामी शंकर आचार्य ने कहा कि राजस्थानी उपन्यासों ने अपने कथानक की विविधता और शिल्प के कारण भारतीय साहित्य में खास स्थान बनाया है। नाटक और बाल साहित्य पर बोलते हुए ऋतु शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य भविष्य की नींव है और ये राजस्थानी में मजबूत है। पाठकों की कमी नहीं। नाटक की गति मंथर है राजस्थानी में मगर भरोसा देने वाली है। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ श्रीलाल मोहता ने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की वकालत करते हुए कहा कि उससे साहित्य और भाषा मजबूत होगी। अकादमी की तरफ से ज्योतिकृष्ण वर्मा ने आभार जताया।


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