Thar पोस्ट। भारत देश विचित्रताओं से भरा है। हाल ही में एक मेले ने लोगों को हैरत में डाल दिया। देश के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र से मेले को मिथिला का प्रसिद्ध मेला माना जाता है। यह साँपों के मेले के तौर पर प्रसिद्ध है। यहां नाग देवता की पूजा की परम्परा सैकड़ों साल से चली आ रही है। मूलत: यहां गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है। महिलाएं अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं। मन्नत पूरी होने पर नागपंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर हर साल नागपंचमी पर विषहरी माता की पूजा की जाती है। यहां के लोगों के लिए सांपों से खेलना आम बात है।
सांपों को पकड़ा जाता है
विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सिंघिया घाट में नागपंचमी पर हर साल की तरह सांपों का मेला भरा। सांपों को देखकर जहां अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाते हैं, वहीं इस मेले में भक्तों के साथ बच्चे और युवा से लेकर बूढ़े तक गले में सांप लपेट कर खेलते करते नजर आते हैं। इसके लिए महीनों पहले से ही सांपों के पकड़ने का सिलसिला शुरू होता है जो नागपंचमी के दिन तक चलता है।
नागपंचमी के दिन भगत राम सिंह सहित अन्य लोग माता विषहरी का नाम लेकर विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब करते हैं। सैकड़ों की संख्या में लोग हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल घाट पहुंचते हैं। यहां नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकालते है। इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद भक्त नागराज और विषधर माता के नाम के जयकारे लगाते हैं। पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।