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IMG 20211101 193813 हम राजस्थानी भाषा के ब्रांड एम्बेसेडर बने - लखावत* Bikaner Local News Portal बीकानेर अपडेट, साहित्य
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*1500 मिनट से अधिक निर्बाध “राजस्थानी कवि जातरा” आयोजन ने विश्व कीर्तिमान कायम किया**कवि यात्रा में 5 महाद्वीपो के प्रवासी राजस्थानीयों ने भागीदारी करी**101 कवियों को 1 लाख से अधिक लोगों ने लाईव सुना*

Thar पोस्ट, बीकानेर। *हम भाषा के ब्रांड एंबेसडर बने जिसे यह धीरे-धीरे व्यवहार में आने लगेगी और सरकार को मजबूरन प्रदेश की भाषा का संरक्षण करना होगा – लखावत*

 

राजस्थान साहित्य महोत्सव “आडावळ” के निदेशक डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि “राजस्थानी कवि जातरा” का शनिवार दोपहर से रविवार देर शाम तक 1500 मिनट से अधिक निर्बाध आयोजन ने एक विश्व कीर्तिमान कायम किया है, जो आज तक किसी भी भारतीय भाषा को नहीं मिला । कवि यात्रा में 5 महाद्वीपो के प्रवासी राजस्थानीयों ने अपनी भागीदारी करी तथा ऑनलाइन 101 कवियों ने अपनी प्रस्तुति देते हुए राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति के प्रति अपने समर्पण को दर्शाया । सोशल मीडिया, यूट्यूब लाईव तथा अन्य ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम में 1 लाख से अधिक लोग लाईव जुड़े ।

रविवार शाम कवि यात्रा के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि ओंकार सिंह लखावत ने संबोधित करते हुए कहा कि हम भाषा के ब्रांड एंबेसडर बने जिसे यह धीरे-धीरे व्यवहार में आने लगेगी और सरकार को मजबूरन प्रदेश की भाषा का संरक्षण करना होगा । राजस्थानी भाषा में रंगाई – छपाई के 42 रंगो का उल्लेख है, इतना विस्तृत शब्द संसार किसी अन्य भाषा में नहीं है । उन्होंने कहा कि पूरे विश्व से राजस्थानी कवियों का एक मंच पर एक साथ जुड़ना हम सभी का राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति के प्रति अपने समर्पण को दर्शाता है ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय साहित्य अकादमी के संयोजक व परामर्श मंडल के अध्यक्ष मधु आचार्य “आशावादी” ने अपने उद्बोधन में कहा कि “आडावळ” के प्रयास मील के पत्थर है । उन्होंने सवाल किया कि जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की भाषा को संविधान में अधिकार प्राप्त है तो लोकसभा अध्यक्ष की भाषा को संवैधानिक मान्यता कब मिलेगी ? राजस्थानी भाषा खत्म होने पर मिनखीचारा (अपनत्व) समाप्त हो जाएगा । राज्य सरकार को भाषा के मामले में गंभीरता बरतनी चाहिए ।

राजस्थानी रामलीला के लेखक एवं निर्देशक मनोज कुमार स्वामी ने कहा कि भाषा संजीवनी है और इसे बचाने के लिए किसी को हनुमान बनना होगा । वरिष्ठ साहित्यकार रामस्वरूप “किसान” ने अपने उद्बोधन में बताया कि कलम की धार तलवार की धार से भी अधिक तेज होती है । हमें भ्रष्टाचार एवं समाजिक विद्रूपता (भेदभाव) के विरुद्ध अपनी कलम उठानी चाहिए ।

कार्यक्रम की संयोजक किरण बाला “किरण” ने अतिथियों का स्वागत किया तथा “अमी” संस्थान की सचिव राजेश्वरी राणावत ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यक्रम में स्टेट बैंक, पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार, माय राजस्थान क्लब एवं राजस्थानी एसोसिएशन के साथ विभिन्न प्रवासी संस्थाओं का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ । यह आयोजन अपने आप मे एक अनुठा प्रयास है । भाषा के लिए कळपना शुरू करे । “आडावळ” का आगामी कार्यक्रम दिनांक 6 नवम्बर को प्रवासी राजस्थानियों के साथ संवाद है ।


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