Thar पोस्ट (विशेष)। अनेक यूरोपीय देशों से विदेशी पर्यटक राजस्थान में घूमने, यहां की कला, संस्कृति, ग्रामीण जिंदगी को नजदीक से देखने खींचे चले आते है। राजस्थान में बिताए क्षणों को अपने कैमरे में कैद कर अपने देश लौट जाते है। इस बीच उनकी मुलाकातें, भेंट अनेक लोगो से होती है। उन्हीं में है पर्यटन कारोबार की रीढ़ यानि टूरिस्ट गाइड, एस्कॉर्ट्स, ट्रेवल एजेंट व टूरिस्ट्स फेसिलिटेटर। इनमें से अनेक अपने मूल नाम के साथ साथ अन्य उपनाम से भी जाने जाते है। ये नाम विदेशी पर्यटकों द्वारा ही अपनी सुविधानुसार रखे गए है। बीकानेर के अलावा जैसलमेर, पुष्कर, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर में भी इस व्यवसाय से जुड़े लोग अपने उपनाम से भी जाने जाते है। केवल बीकानेर की बात करे तो आधा दर्जन पर्यटन व्यवसायी ऐसे है जिनके अपने मूल नाम के अलावा पृथक नाम भी है। इनमें विनोद भोजक का उपनाम ‘विनो’, विजय सिंह थैलासर का ‘कैमेल मेन’, हर्षवर्धन सिंह का ‘छोटू’ आनंद व्यास व आनन्द सिंह का ‘एंडी’, एम जावेद का उपनाम ‘डॉबी’ सैमुअल हसन का नाम ‘सेम’, शैलेन्द्र कच्छावा का नाम शैल लुका, ओन मोहम्मद का ‘ऑन’ इसके अलावा स्व इस्माइल मिर्ज़ा का नाम टोनी था। वहीं अनेक के बंटी, एन, हनी आदि अन्य नाम भी पड़ चुके है। यह है वजह इस बारे में पर्यटन व्यवसायी व होटल व्यवसायी प्रेम अग्रवाल का कहना है कि यूरोप व अमेरिकी देशों से राजस्थान भ्रमण पर आने वाले विदेशी पर्यटको को शार्ट नाम पसंद है। लंबे नामों की तुलना में वे शार्ट नाम पसंद करते है। बीकानेर में भी अनेक गाइड आदि के उपनाम इसीलिए हो गए। पर्यटन व्यवसायी अर्जुन सिंह के अनुसार अनेक विदेशी पर्यटक राजस्थान में पर्यटन से जुड़े लोगों को अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते है। इसके चलते गाइड आदि के उपनाम भी पड़ गए है। * जितेंद्र व्यास