Tp न्यूज़। बीकानेर, 9 दिसम्बर। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा “स्वच्छ दूध उत्पादन क्यों और कैसे“ विषय पर बुधवार को राज्य स्तरीय ई-पशुपालक चौपाल का आयोजन किया गया। पशुपालक चौपाल को सम्बोधित करते हुए स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, जयपुर की अधिष्ठाता और विषय विशेषज्ञ प्रो. संजीता शर्मा ने कहा कि विश्व के दुग्ध उत्पादन में भारत गत 10 सालों से अग्रणी देश बना हुआ है। राजस्थान 187.7 मिलियन मैट्रिक टन दुग्ध उत्पादन के साथ देश में दूसरे स्थान पर है। देश में औसत 394 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता है जबकि राजस्थान में 870 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसतन दूध उपलब्ध होता है। पशुपालकों को स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने से दूध का उचित मूल्य और डेयरी व्यवसाय को अत्यंत लाभकारी बनाया जा सकता है। प्रो. शर्मा ने कहा कि दूध पौष्टिक व संपूर्ण आहार के रूप में बच्चों, युवाओं और बुर्जुगों के लिए ऊर्जा का एक प्रमुख स्त्रोत है जो स्वच्छ दूध उत्पादन से ही हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दूध एक ऐसा माध्यम है जिसमें विषैले जीवाणु और किटाणुओं के पनपने की संभावना रहती है। अतः स्वच्छता का ध्यान रखकर ही हम इससे निजात पा सकते हंै। स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए दुधारू पशु को स्वस्थ-निरोगी व स्वच्छ रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पशु के आवास, शरीर की स्वच्छता के साथ-साथ ग्वाला, दूध बर्तनों की साफ सफाई व पौष्टिक पशु आहार पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कृत्रिम व मिलावटी दूध की जांच प्रक्रिया के बारे में भी पशुपालकों को जानकारी दी। दूध का पाश्चुरीकरण अर्थात पूर्णतः गर्म करने के बाद ही प्रयोग में लेना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। प्रो. शर्मा ने देशी गौवंश को किटाणु रहित बनाने सहित जैविक और डिजाईनर दूध के बारे में भी जानकारी दी। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने चौपाल का संचालन करते हुए देश में दूध के प्राचीन महत्व और देशी गौवंश के दूध की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे बुधवार को श्रृंखला रूप से विषय विशेषज्ञों की वार्ताओं से राज्य के पशुपालक समुदाय को लाभान्वित किया जा रहा है। राजुवास के अधिकारिक फेसबुक पेज पर इसका सीधा प्रसारण देखा और सुना गया।