TP न्यूज़ । राजस्थान का इतिहास शिलालेखों में भी समाहित है किंतु आवश्यकता है कि इन शिलाओं पर उत्कीर्ण ऐतिहासिक लेखों को अक्षरश: सरल भाषा में प्रस्तुत करना और उनकी विवेचना करना । डॉ. राजेंद्र प्रसाद व्यास ने रियासत कालीन बीकानेर क्षेत्र के नौ सदियों में प्रतिष्ठित हुए शिलालेखों का अध्ययन कर प्रामाणिक स्रोतों को यथा रूप में प्रकाशित करवा कर बहुत ही श्रम साध्य और जनोपयोगी कार्य किया है जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। यह विचार प्रिंसेस ऑफ बीकानेर राजश्री कुमारी ने लालगढ़ पैलेस में डॉ राजेंद्र प्रसाद व्यास चूरूवाला की पुस्तक’ रियासतकालीन बीकानेर के शिलालेख ‘ का विमोचन करते हुए व्यक्त किए । राजश्री कुमारी ने कहा कि यह शोध ग्रंथ बीकानेर रियासत क्षेत्र के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को उजागर करने वाले शिलालेखों का अप्रतिम संकलन है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि पाठकों के ज्ञान वर्धन एवं इतिहास विषय के शोधार्थियों को व्यापक रूप में प्रामाणिक इतिहास लिखने और पूर्व में लिखे गए इतिहास को परिवर्द्धन और परिवर्तन करने में मार्गदर्शक तथा सहायक सिद्ध होगा ।इस अवसर पर पुस्तक के लेखक व्यास ने बताया कि उन्होंने 2014 से 2019 तक लगभग पच्चीस हजार किलोमीटर की यात्रा करते हुए बीकानेर रियासत के गांवों के शिलालेखों का संकलन किया और इस पुस्तक में एक हजार से ज्यादा शिलालेखों के मूल पाठ, सारांश और उन पर विशेष टिप्पणियां हैं तथा लगभग पांच सौ शिलालेख सचित्र दिए गए हैं । उन्होंने कहा कि बीकानेर रियासत की स्थापना से भी पूर्व के जांगल प्रदेश क्षेत्र के 12वीं और 13वीं सदी के शिलालेख भी इस पुस्तक में मिलेंगे कोरोनाकाल के लिए जारी दिशा- निर्देशों की पालना के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट के सचिव ठाकुर हनुमंत सिंह, कुंवर गोविंद सिंह, राजेश पुरोहित ने इस पुस्तक को संग्रहणीय और उपयोगी बताते हुए लेखक के शोध कार्य की सराहना की ।