


Thar पोस्ट न्यूज बीकानेर। क्षेत्रीय मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल, बीकानेर में , सीमा सुरक्षा बल द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर में दिये गये योगदान पर प्रेस कांफ्रेंस हुई। अजय लूथरा, उप महानिरीक्षक, बीएसएफ बीकानेर द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर में सीमा सुरक्षा बल की परिचालन क्षमता, खुफिया समन्वय, और बल के जवानों के अदम्य साहस आदि के बारे में जानकारी दी।



पत्रकारों से बातचीत में अजय लूथरा उप महानिरीक्षक ने बताया कि 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में नृशंस आतंकवादी हमला हुआ। जो कि पड़ोसी देश द्वारा की गई एक कायराना हरकत थी। इसी के जवाब में भारत सरकार द्वारा दिनांक 07/08 मई, 2025 की मध्यरात्रि को “ऑपरेशन सिंदूर” लॉन्च किया गया, जिसमें सीमा सुरक्षा बल ने भी अपना साहसिक योगदान निभाया।
पहलगाम नरसंहार के पश्चात श्री दलजीत सिंह चौधरी (आईपीएस) महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल ने पश्चिमी सीमा पर संभावित खतरे का सटीक आकलन कर, बीएसएफ को पूरी तरह से तैयार रहने के लिए निर्देशित किया। इसी दौरान श्री दलजीत सिंह चौधरी (आईपीएस) महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल ने श्री डी के बुरा महानिरीक्षक (ऑपरेशन) और श्री एम एल गर्ग महानिरीक्षक सीमांत मुख्यालय जोधपुर के साथ बीकानेर सेक्टर का दौरा किया व सीमा पर जवानों के बीच जाकर हालात की जानकारी ली। सभी सेक्टरों एवं वाहिनीयों को अंतर्राष्ट्रीय सीमा एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में उच्चतम स्तर की तैयारी, प्रतिक्रिया के लिए बल की ऑपरेशनल डयूटियों के लिए सतर्कता तथा मुस्तैदी का जायजा लिया। साथ ही सीमा सुरक्षा बल के खुफिया तंत्र को और मजबूत कर भारतीय सेना एवं एयर फोर्स के साथ समन्वय स्थापित कर ऑपरेशनल सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान पाकिस्तान की ओर से राजस्थान के सीमावर्ती जिलों जैसलमेर, बीकानेर, और श्रीगंगानगर में लगातार ड्रोन गतिविधियाँ की गई। हमारी एयरस्पेस की सुरक्षा को चुनौती देने के प्रयासों को सीमा सुरक्षा बल ने भारतीय सेना व एयर फोर्स के साथ मिलकर तत्परता से विफल किया। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारतीय सेना, वायु सेना व राजस्थान पुलिस के साथ अद्वितीय समन्वय और तालमेल बनाए रखा।
इसके साथ ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों को सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया गया ताकि सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। इस विशेष अभियान के अंतर्गत वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वयं सीमाओं पर मोर्चा संभाला और मौके पर ही अपने अधीनस्थ जवानों को वास्तविक समय (real time) में आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किये । इसके अलावा सीमा के लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करना व उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार रखा गया
1971 के युद्ध में भारतीय सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान को पराजित करने में बीएसएफ की निर्णायक भूमिका रही है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बीएसएफ को ‘प्रथम रक्षा पंक्ति की उपाधि दी थी। ऑपरेशन सिंदूर में बीएसएफ ने फिर से उसी सम्मान और गरिमा को प्राप्त किया। योजनाबद्ध युद्धाभ्यास और क्रियान्वयन से यह सिद्ध किया कि बीएसएफ राष्ट्र की प्रथम रक्षा पंक्ति हे
हम हर चुनौती को दुश्मन की आंखों में झाकते हुये स्वीकार करते है और सीमाओं पर चौकस रहते हैं। यह हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दें। “भारत की सरहद को कोई छू नहीं सकता क्योंकि इसकी निगहबान है हम सब की ऑखें।”