Thar पोस्ट न्यूज। इन दिनों राजस्थान में विवाह सीजन चल रहा है। प्रमुख बाजारों में ग्रामीण ग्राहकी अधिक रहती है। लेकिन किसान महापंचायत ने राजस्थान में 29 जनवरी को गांव बंद का एलान कर दिया है। हाल ही में बीकानेर के आनंद भवन में पत्रकारों को जानकारी देते हुए महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि 21 जिलों से अधिक किसान एकजुट है। किसान नेता गांव-गांव जाकर किसानों से समर्थन मांग रहे हैं। गांव बंद आंदोलन में गांव का उत्पाद लेकर गांव से बाहर नहीं जाएगा। पंजाब समेत कई राज्यों में किसान विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब किसानों ने गांव बंद आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए किसान गांव-गांव घूम रहे हैं और गांव बंद आंदोलन के लिए किसानों से समर्थन की मांग कर रहे हैं।
गांव से बाहर नहीं जाएगा गांव का उत्पाद
गांव बंद आंदोलन के दौरान किसान अपने उत्पाद को बेचने के लिए गांव से बाहर नहीं जाएगा। यदि गांव में आकर कोई व्यापारी उत्पाद खरीदना चाहे तो उस पर रोक नहीं रहेगी। रामपाल जाट ने बताया कि राजस्थान के सभी 45,537 गांव में यह आंदोलन चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांव बंद के दौरान गांव का कोई भी व्यक्ति अपने उत्पाद को लेकर बाहर नहीं जाएगा। न ही वह रेलगाड़ी, बस या किसी वाहन का इस्तेमाल करेगा। हालांकि, आपातकालीन स्थिति में गांव बंद लागू नहीं होगा। मतलब आपातकालीन स्थिति में गांव के लोग आ जा सकेंगे। यह आंदोलन 45,537 गांव में प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। इस आंदोलन से किसानों को जोडऩे के लिए लगातार संपर्क किया जा रहा है।
स्वेच्छा पर आधारित होगा आंदोलन
उन्होंने कहा कि गांव बंद स्वेच्छा पर आधारित होगा, जिसमें सत्य, शांति एवं अहिंसा के व्रत की पालना अपरिहार्य होगी। इसमें टकराव की सम्भावना न्यूनतम होने से द्वेष की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी वरन आपसी प्रेम एवं सद्भाव के आधार पर जन समर्थन प्राप्त किया जा सकेगा। इसका प्रमुख उदघोष “खेत को पानी-फ़सल को दाम” है। “खेत को पानी” के लिए सिंचाई परियोजनाएं प्राथमिकता से बनाने तथा “फ़सल को दाम” के लिए खराबे की क्षतिपूर्ति के साथ “न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी कानून” यथाशीघ्र बनाने संबंधी विषयों की प्रमुखता रहेगी। इसकी सफलता के लिए प्रदेश भर में जन जागरण चल रहा है। प्रेस वार्ता में महापंचायत के लोकसभा प्रभारी सत्यनाारायण देवड़ा भी मौजूद रहे।