Thar पोस्ट न्यूज़। करोड़ो लोगों की जन-भावना और अस्मिता से जुडे़ महत्वपूर्ण सवाल- राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता एवं प्रदेश की दूसरी राजभाषा के लिए आजादी के बाद से ही अहिंसात्मक स्तर पर मान्यता आंदोलन अपने स्तर पर चल रहा है। साथ ही वर्तमान में नई शिक्षा नीति के बाद में प्रदेश में प्राथमिक स्तर से राजस्थानी भाषा में शिक्षा देने की मांग निरन्तर हर स्तर पर उठाई जा रही है इसी संदर्भ में राजस्थान के मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री से राजस्थानी युवा लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमल रंगा ने इस पर शीघ्र ठोस कार्यवाही करने हेतु आग्रह किया है।
रंगा ने कहा कि राजस्थानी को मान्यता का प्रश्न अब तो शुद्ध रूप से राजनैतिक इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। रंगा ने आगे कहा कि किसी भी प्रदेश में राजभाषा अधिनियम के तहत एवं अन्य संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार एक नहीं दो-तीन भी भाषाओं को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया जा सकता है।
रंगा ने इस बाबत कहा कि इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री से आग्रह किया है कि नई शिक्षा नीति के तहत जो पाठ्यक्रम का निर्माण हो रहा है और शिक्षकों हेतु जो संदर्भ राजस्थानी शब्द कोष भी बन रहा है। उसकी मोटे तौर पर एकरूपता की ओर विशेष ध्यान करवाते हुए कार्यवाही करवाने का भी आग्रह किया है, ताकि प्राथमिक स्तर पर प्रदेश में शिक्षा का माध्यम शीघ्र एवं सही तरीके से प्रारंभ हो सके। रंगा ने कहा कि यदि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम नई शिक्षा नीति के अनुरूप सही रूप से प्रारंभ हो जाता है, तो इससे निश्चित तौर पर राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन को बल मिलेेगा।